क्या है वर्तमान स्थिति : आश्रितों को मिलने वाली पेंशन पर मिलने वाली रकम का एक तिहाई हिस्सा या फिर 15 हजार रुपये की रकम, दोनों में से जो भी कम होता है सिर्फ उसी पर टैक्स छूट मिलती है। फैमिली पेंशन के मद में इसके पात्र व्यक्ति को स्टैडर्ड डिडक्शन का फायदा भी नहीं मिलता है। यही वजह है कि सरकार आश्रितों को भी मिलने वाली पेंशन पर स्टैडर्ड डिडक्शन के बराबर छूट देने पर विचार कर रही है।
निवेश पर टैक्स कम
सरकार बजट में लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) में बड़ी राहत दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार बजट में कुछ शर्तों के साथ एलटीसीजी की प्रभावी दर शून्य कर सकती है। इसके तहत म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट में निवेश भी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक एलटीसीजी के तहत एक साल की समय सीमा बढ़ाकर तीन साल करने पर विचार किया जा रहा है। एक साल तक केवल 15 फीसदी एलटीसीजी का प्रावधान हो सकता है। जबकि एक से तीन साल तक 10% रखा जा सकता है।
होम लोन पर और छूट
देश के प्रमुख उद्योग मंडल सीआईआई ने घर खरीदारों को बजट में अधिक कर लाभ दिए जाने का आग्रह किया है। उद्योग मंडल ने कहा है कि नकदी संकट से जूझ रहे रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए आगामी बजट में घर खरीदारों को मिलने वाले कर लाभ बढ़ाए जाने चाहिए। सीआईआई के बयान में कहा गया है, मकान कर्ज पर देय ब्याज पर अधिकतम कर छूट दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को प्रधानमंत्री आवास योजना का दायरा भी बढ़ाना चाहिए।
क्या होती है फैमिली पेंशन?
कंपनियों और संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाला कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानि ईपीएफओ, पीएफ और पेंशन स्कीम चलाता है। इसके जरिए ही कामगारों को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन मिलती है। अगर किसी कारणवश ईपीएफ सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार यानी पत्नी या पति और बच्चों को भी पेंशन का फायदा मिलता है। इसे फैमिली पेंशन भी कहा जाता है। ईपीएफ ने फैमिली पेंशन के लिए 10 साल की सर्विस की अनिवार्यता भी नहीं रखी है। यानी 10 साल पूरा होने से पहले भी अगर कर्मचारी की मृत्यु ही जाती है तो उसके परिवार को पेंशन का फायदा मिलेगा। वहीं कर्मचारी तभी पेंशन का हकदार होता है जब वह 10 साल नौकरी कर ले। यदि कर्मचारी शादीशुदा नहीं है तो उसके नॉमिनी को पेंशन मिलती है।