कोरबा (IP News). छत्तीसगढ़ के मरवाही विधानसभा का उप चुनाव कांग्रेस व भूपेश सराकर के लिए इसके पहले हुए दो उप चुनावों से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था। क्योंकि जोगी परिवार के अभेद गढ़ में सेंधमारी आसान नहीं थी। यही वजह थी कि मई में अजीत जोगी के निधन के बाद से ही कांग्रेस मरवाही फतह करने की जुगत में थी। मरवाही विजय करने के साथ ही कांग्रेस की राज्य में हुए उप चुनावों में जीत की हैट्रिक लग गई है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक मरवाही में मतगणना जारी है और कांग्रेस प्रत्याशी डा. केके धु्रव ने 28 हजार से ज्यादा की निर्णायक बढ़त हासिल कर रखी थी। मरवाही की जीत भूपेश बघेल के मिशन- 70 को भी पूरा कर रही है। डा. केके ध्रुव कांग्रेस के 70वें विधायक के तौर पर शपथ लेंगे।

यहां बताना होगा कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र से अजीत जोगी ने 2003, 2008, 2013 के चुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी तथा और 2018 के चुनाव में अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बैनर तले फतह हासिल की थी। 2018 के चुनाव में 74,041 मत अर्जित किए थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब सिंह राज को 20,040 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर थे। 27,579 मतों के साथ भाजपा उम्मीदवार अर्चना पोर्ते दूसरे नम्बर पर थीं। जकांछ व कांग्रेस के बीच 54,001 मतों का अंतर था। जोगी परिवार के इस दबदबे को देखते हुए ही कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजीत जोगी के निधन के बाद से तैयारी शुरू कर दी थी। अरबों रुपए के विकास कार्यों की न केवल सौगात दी गई बल्कि जमीनी स्तर पर पार्टी को सक्रिय किया गया। कांग्रेस को पता था कि जोगी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान पर होगा तो मुकाबला कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा। खासकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मरवाही उप चुनाव को प्रतिष्ठा के रूप में लेकर चल रहे थे। श्री बघेल का अजीत जोगी के साथ मनमुटाव जगजाहिर रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री बघेल किसी भी स्थिति में जोगी के अभेद गढ़ को भेदना चाहते थे। जाति प्रमाण पत्र को लेकर अमित जोगी का नामांकन रद्द होना भी इस रणनीति का एक हिस्सा कहा जा सकता है। हालांकि यह तकनीकी मामला रहा है। अमित जोगी के चुनाव मैदान से बाहर होने के बाद कांग्रेस के लिए जीत और आसान हो गई। अमित जोगी ने मतदान के तीन दिन पूर्व भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया था। बावजूद इसके कांग्रेस तब तक काफी मजबूत स्थिति में आ चुकी थी। शुरुआती दौर में भाजपा थोड़ी धीमी दिखाई पड़ी। पार्टी अंतिम क्षणों में सक्रिय हुई। राज्य की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने चित्रकूट और दंतेवाड़ा का उप चुनाव जीता। चित्रकूट में राजमन वेंजाम और दंतेवाड़ा में देवती कर्मा की जीत हुई थी। यह तीसरा उप चुनाव है जिसमें कांग्रेस की विजय हो रही है।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के प्रभारी मंत्री जयसिंह पर था जीत का दारोमदार

इधर, इस उप चुनाव ने प्रदेश के राजस्व मंत्री एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल के ओहदे को और ऊंचाई दी है। पार्टी को विजय दिलाने का दारोमदार काफी हद तक जयसिंह अग्रवाल के कंधों पर था। इस लिहाज से ही उन्हें नए जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। श्री अग्रवाल को चुनावी प्रबंधन का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। जयसिंह अग्रवाल ने प्रभारी मंत्री का ओहदा मिलते ही मरवाही में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने क्षेत्र में निरंतर बैठकें की और कार्यक्रमों में भागीदारी की। इस दौरान जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और भाजपा के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को कांग्रेस में शामिल कराने का काम किया। श्री अग्रवाल अंत तक अपनी टीम के साथ मरवाही में डटे रहे और जोगी परिवार के गढ़ में सेंधमारी करने में सफलता हासिल की।

जीत के बाद विधानसभा में दलीय स्थिति

  • कांग्रेस – 70
  • भाजपा – 14
  • जकांछ – 4
  • बसपा – 2

 

 

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