जमशेदपुर। अब तक कंपनियों के प्रबंधन को किसी यूनियन को मान्यता देने की छूट कानून से मिली हुई थी। संसद के चालू सत्र में एक बिल पेश किया जाएगा जिसमें प्रबंधन को मान्यता देने की यह छूट समाप्त करने का प्रावधान है। ये बातें भारत सरकार के डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर(सीएससी) ओंकार शर्मा ने कहीं। शनिवार को टाटा वर्कर्स यूनियन के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए शर्मा ने कहा कि इसे लागू होने के बाद प्रबंधन को पसंद की यूनियन को मान्यता देने की छूट पर लगाम तय है। क्या है नया प्रावधान : किसी कंपनी में एक से अधिक यूनियन होने पर वहां किस यूनियन का वार्ताकार होगा उसे तय करने के लिए कर्मचारी चुनाव करेंगे। जिस यूनियन को न्यूनतम 75 प्रतिशत मत प्राप्त होगा, प्रबंधन को उस यूनियन के साथ विभिन्न मुद्दे पर बात करनी होगी।
किसी भी यूनियन को 75 प्रतिशत मत प्राप्त नहीं हुए तो प्राप्त मतों के आधार पर प्रतिनिधि तय किए जाएंगे। प्रावधान के मुताबिक, प्रति 10 प्रतिशत मत पर एक निगोशिएशन काउंसिल मेंबर तय किया जायेगा। ऐसे में जिस ट्रेड यूनियन का जितना प्रतिशत वोट होगा उसके हिसाब से उनके उतने मेंबर तय होंगे। नगोशिएशन काउंसिल मेंबर को ही अधिकार होगा कि वह प्रबंधन से किसी मुद्दे पर बात करे।
नियमावली बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा। कार्यवधि तीन वर्ष होगी। नेगोशिएशन ट्रेड यूनियन एक्ट 2020 संसद में इस बार पेश किया जाएगा। इस एक्ट में तीन कानून हैं। इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, सोशल सेक्यूरिटी कोड और आक्यूपेशनल, सेफ्टी एंड हेल्थ वर्किंग कंडिशन कोड। सरकार को यूनियन का निबंधन 45 दिनों में करना अनिवार्य होगा.

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