दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कोरोनावायरस (Coronavirus) को फैलने से रोकने के लिए दिल्ली में एक हफ्ते के कर्फ्यू (Curfew) की घोषणा की, जिसके तुरंत बाद ग्रामीण भारत से आने वाले अधिकतर प्रवासी मजदूरों ने बड़े पैमाने पर एक बार फिर से पलायन शुरू कर दिया है। हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर यहां आनंद विहार ISBT पर बस लेने के लिए जमा हुए हैं, भले ही केजरीवाल ने आश्वासन देते हुए हाथ जोड़ कर दिल्ली ने छोड़ने की अपील की और कहा “मैं हूं ना।” मंगलवार सुबह भी प्रवासी मजदूर बस टर्मिनलों पर इकट्ठा हुए, क्योंकि उन्हें घर के लिए रवाना होना था।

खबरों के मुताबिक, 5,000 से ज्यादा लोग आनंद विहार में इकट्ठा हुए थे, जिसमें ISBT के साथ-साथ रेलवे स्टेशन पर भी नंबर बढ़ रहे थे। सोमवार को जब केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा की, तो उन्होंने अपनी संबोधन में प्रवासी मजदूरों का भी जिक्र किया और उनसे आग्रह किया कि वे नहीं निकलें, क्योंकि ये छोटा लॉकडाउन है और उम्मीद कि इसे आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

केजरीवाल ने सोमवार रात 10 बजे से अगले सोमवार यानी 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन की घोषणा करते हुए कहा, “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, सरकार आपका पूरा ध्यान रखेगी। मैं हूं ना, मुझ पर भरोसे रखो।”

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन की अचानक घोषणा के बाद, हजारों प्रवासी कामगार ISBT आनंद विहार इलाके में जमा हो गया। उन्होंने कहा, “हमने यहां ज्यादा से ज्यादा फोर्स तैनात की है। वर्तमान में यहां 5,000 से अधिक लोगों के होने की संभावना है। बसें अभी तक सीमित हैं, हम लोगों को उनके गंतव्य के अनुसार उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।”

अधिकारी ने कहा कि पुलिस नागरिक प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है, ताकी उनके लिए गाड़ियों और रहने के लिए शेल्टर होम्स की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि इलाके में तैनात पुलिसकर्मी भी प्रवासियों को ये कह कर कि ये कुछ ही दिनों का लॉकडाउन है, वापस भेजने की कोशिश कर रहे थे।

हालांकि, प्रवासियों को डर था कि लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि COVID-19 की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। मुकेश प्रताप, जो दिलशाद गार्डन में कपड़े की फैक्ट्री में काम करते हैं और यूपी के बरेली के मूल निवासी हैं, ने कहा कि वह अपने घर जाना चाहते है, क्योंकि लॉकडाउन के बढ़ने की संभावना है।

उन्होंने कहा, “लॉकडाउन निश्चित रूप से हमारी आजीविका को प्रभावित करेगा, इसलिए हमारे लिए अपने घर पर रहना बेहतर है। इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है और मैं एक बार भी रिस्क लेना नहीं चाहूंगा।”

एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं प्रवासी मजदूरों से अपील करना चाहूंगा, हाथ जोड़कर, ये छह दिनों का एक छोटा लॉकडाउन है। कृपया दिल्ली न छोड़ें। आपको यात्रा में बहुत समय, पैसा और ऊर्जा की कमी होगी। दिल्ली में रहो।”

केजरीवाल ने कहा कि लॉगडाउन लागू करना आसान फैसला नहीं था, क्योंकि इससे गरीब लोगों को सबसे ज्यादा चोट पहुंची। उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि लॉकडाउन के दौरान लोग अपनी नौकरी और मजदूरी कैसे खो देते हैं। ये गरीब लोगों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए विशेष रूप से मुश्किल है।”

पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान, बिहार, यूपी और दिल्ली में रहने वाले दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरेलू राज्यों में चले गए थे। इस दौरान कई मजदूरों साधन ने मिलन के कारण पैदाल ही अपने घर का सफर शुरू कर दिया था।

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