कोरबा (IP News). भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने राख उपयोगिता के मामले में सफलता हासिल की है। बालको के 1740 मेगावाट क्षमता वाले विद्युत संयंत्रों से सालाना 28 लाख 69 हजार टन राख का उत्सर्जन होता है। 2009 में जारी नोटिफिकेशन के तहत बालको के समक्ष राख के शत प्रतिशत उपयोगिता का लक्ष्य है। वर्ष 2019- 20 में 28 लाख 94 हजार 200 टन (100.88 प्रतिशत) की उपयोगिता के साथ इस टारगेट को प्राप्त किया गया।

यहां बताना होगा कि बालको के 540 एवं 1200 मेगावाट क्षमता वाले दो विद्युत संयंत्र प्रचालन में है। 540 क्षमता वाले पाॅवर प्लांट से प्रति वर्ष नौ लाख 84 हजार 640 टन राख का उत्सर्जन होता है। 2019-20 में नौ लाख 88 हजार 510 टन राख का उपयोग किया गया। यानी उपयोगिता का प्रतिशत 100.39 रहा।

1200 में क्षमता वाले संयंत्र से 18 लाख 84 हजार 370 टन राख उत्सर्जित होती है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 19 लाख 5 हजार 69 टन (101.13 फीसदी) राख की उपयोगिता दर्ज की गई।

यहां किया गया उपयोग

जिले के कई स्थानों पर स्थित निचले हिस्सों में भराव (LOW LAYING AREA) के लिए 14 लाख टन से ज्यादा राख का इस्तेमाल किया गया। माइन फिलिंग के लिए दो लाख 24 हजार 500 टन राख का उपयोग किया गया। शेष राख का उपयोग राखड़ ईंट निर्माण, राखड़ बांध की ऊंचाई बढ़ाने से सहित अन्य कार्यों में किया गया।

कोयले की इतनी होती है खपत

540 मेगावाट क्षमता वाले कैप्टिव संयंत्र में सालाना 25 लाख 67 हजार 700 टन कोयले की खपत होती है। कोयले से 38.35 प्रतिशत राख निकलती है।

1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र में प्रतिवर्ष 50 लाख 41 हजार 700 टन ईंधन का उपयोग होता है। इससे 37.38 फीसदी राख उत्सर्जित होती है।

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