भोपाल (आईपी न्यूज)। मध्य प्रदेश सरकार आगामी बजट सत्र के दौरान ‘जल अधिकार अधिनियम‘ पारित करेगी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे के मुताबिक राज्य सरकार ने कानून का मसौदा तैयार कर लिया है जिसे बजट सत्र में कानूनी स्वरूप दिया जाएगा। मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां लोगों को पानी का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा। प्रदेश सरकार ने इस कानून को लागू करने के लिए बजट में 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के हर घर तक नल से पानी पहुंचाने के लिए 68,000 करोड़ रुपये की कार्ययोजना बनाई है। अब तक 19 जल योजनाओं के माध्यम से 802 गांवों की लगभग साढ़े चार लाख आबादी को पानी उपलब्ध कराया गया है जबकि 39 योजनाओं पर काम चल रहा है जो अगले दो साल में पूरा किया जाएगा। इससे 64 लाख की आबादी लाभान्वित होगी।
5.58 करोड़ आबादी ग्रामीण क्षेत्र मेें, पिछली सरकार ने 12 फीसदी आबादी को ही दिया पानी
पांसे ने कहा कि प्रदेश की 5.88 करोड़ की आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और पिछली सरकार ने बमुश्किल 12 फीसदी आबादी को पेयजल मुहैया कराया था। प्रदेश सरकार को पानी का कानूनी अधिकार इसलिए लाना पड़ रहा है कि कहीं कोई परिवार जरूरत के पानी से वंचित न रह जाए। प्रदेश सरकार ने पेयजल योजनाओं को बेहतर बनाने के लिए दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ अनुबंध किया है। प्रदेश में पेयजल व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी), जापान इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन (जायका) और नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की पहल भी की गयी है। एनडीबी से 4,500 करोड़ रूपये की योजनाओं की वित्तीय सहायता प्राप्त हो गई है जबकि जायका से नीमच तथा मंदसौर जिलों के गांवों में पेयजल योजनाओं के लिए सहायता मिलने की प्रक्रिया चल रही है।
साभार: बिजनेस स्टैंडर्ड

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