धनबाद। राजमहल खुली खदान दुर्घटना की डीजीएमएस जांच में आउट सोर्सिंग कंपनी महालक्ष्मी इंफ्रा को जांच अधिकारियों ने जिम्मेवार नहीं माना। जिन कारणों के कारण जिम्मेवार नहीं माना वो बड़ा ही दिलचस्प है। कोर्ट में ठेकेदार के मुद्दे पर जांच टीम के अध्यक्ष उत्तपल साहा सवाल करने वाले एसेसर पर गुस्सा हो गए, तिलमिलाए। तब एसेसर श्री उस्मानी ने कहा आप हमसे गुस्सा क्यों हो रहे हैं, व्हाई यु एंग्री विथ मि सर्, प्लीज एक्सप्लेन बेफॉर दी कोर्ट।
ये है जांच रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट के पेज संख्या 78/126 के बिंदु संख्या 18.1 में श्री साहा लिखते है, मैं ठेका कंपनी के मालिक और इसके किसी सुपरवाइजर को जिम्मेवार नहीं मानता। क्योंकि ये अनुबंध के मुताबिक अपना काम कर रहे थे। सुरक्षा का काम प्रबंधन का था।दूसरे ठेका कंपनी ने अपने एक ईमानदार सुपरवाइजर समेत 23 कर्मियों एवं 18 भारी मशीनों को खोकर ठेका कंपनी ने भारी जुर्माना चुकाया।इसलिए इसे जिम्मेवार नहीं माना जा सकता।
कोर्ट में क्या हुआ
इस जांच रिपोर्ट पर जिरह शुरू हुई। एसेसर श्री उस्मानी के एक सवाल के जवाब में साहा ने कहा ठेकेदार अपने आदमी का मालिक है। दूसरा सवाल दृ ठेका कर्मी हाजरी कहाँ बनाते थे ? इनकी हाजरी तो कैम्प में बनती थी। और सीधे काम पर जाते थे। इसकी जानकारी न माइनिंग सरदार को होती थी और न ही ओवर मैन को ? तो माइनिंग सरदार और ओवर मैन का सुपरविजन और कंट्रोल कैसे हुआ ? इस पर श्री साहा तिलमिला उठे।
जानकर बताते हैं वहां पूरा सिस्टम ठेकेदार के कब्जे में था। हाजरी कहां बनती थी, बारूद कौन देगा ये कुछ विभागीय अधिकारियों और कर्मियों को जानकारी नहीं होती थी। सब काम ठेकेदार के मर्जी से चलता था। ऐसे में बड़ा सवाल यह कि दृ फिर डीजीएमएस ने अपनी जांच रिपोर्ट में ठेकेदार को क्लीन चिट कैसे दे दिया। इस पर भारतीय मजदूर संघ से जुड़े धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के संगठन मंत्री संजीव श्रीवास्तव कहते हैं सब धन और धान्य की माया है। बड़े लोग बरी और छोटे लोग मुर्गा बन गए। इसीलिए तो डीजीएमएस ने आनन-फानन में जांच कर रिपोर्ट दे दी। चोर ही पहरेदार बन गया। इस दुर्घटना का अगर कोई सबसे बड़ा जिम्मेवार है तो वो है डीजीएमएस।

Source : Coal Blast

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