आंध्र प्रदेश : अदालतों में लंबित ढेर सारे मामलों को निपटाने के लिए ऑनलाइन लीगल केस निगरानी प्रणाली हो रही लागू, जानें क्या है योजना

यह नई व्यवस्था विभिन्न सरकारी विभागों को विभिन्न याचिकाओं  के सम्बन्ध में तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद करेगी। इस प्रणाली में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एप्लिकेशन प्रोटोकॉल इंटरफेस (एपीआई) का उपयोग किया जायेगा।

आंध्र प्रदेश सरकार विभिन्न अदालतों में लंबित ढेर सारे मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए एक ऑनलाइन लीगल केस निगरानी प्रणाली (OLCMS) लागू करने जा रही है। यह नई व्यवस्था विभिन्न सरकारी विभागों को विभिन्न याचिकाओं  के सम्बन्ध में तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद करेगी। इस प्रणाली में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एप्लिकेशन प्रोटोकॉल इंटरफेस (एपीआई) का उपयोग किया जायेगा। इसके अलावा रियल टाइम के आधार पर इन सभी मामलों की निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड भी बनाया गया है, जिसमें सभी सरकारी वकीलों के कार्यालयों को स्वचालित रूप से जोड़ा जाएगा ताकि निगरानी और प्रतिक्रिया में आसानी के लिए मामलों को ठीक से अनुक्रमित किया जा सके।

1.94 लाख से अधिक मामलों में सक्रिय है प्रदेश सरकार

जानकारी के लिए बता दें कि आंध्र प्रदेश सरकार वर्तमान में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में 1.94 लाख से अधिक मामलों में लड़ रही है। हर दिन कम से कम 40,000 पृष्ठों की (औसतन 450 नई (रिट) याचिकाएं) सरकार के खिलाफ दायर की जा रही हैं। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना के कम से कम 8,000 मामले लंबित हैं। ऐसे में लगातार बढ़ता काम शासन-प्रशासन के लिए चुनौती भरा काम साबित हो रहा है। इस काम को समय से निबटाने के लिए OLCMS प्रणाली लागू की जा रही है।

इससे पूर्व अभी हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव आदित्य नाथ दास ने महाधिवक्ता श्रीराम सुब्रमण्यम, कानून सचिव और अन्य शीर्ष नौकरशाहों के साथ बढ़ते मुकदमे से उचित तरीके से निपटने का तरीका खोजने के लिए एक विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया गया। इस दौरान राज्य के विधि एवं न्याय विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि ओएलसीएमएस मुख्य सचिव की बैठक का नतीजा है, इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बाबू अहमद को राज्य सरकार के स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

कैसे काम करेगी यह प्रणाली ?

राज्य में अब से प्रत्येक विभाग से संबंधित सभी लंबित अदालती मामलों की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा अदालती मामलों की सुनवाई, दाखिल होने वाले जवाबी हलफनामे, अवमानना के मामलों और ऐसे मामलों पर सम्बंधित विभागों को तुरंत अलर्ट भेजा जाएगा।

तेलंगाना सरकार कर रही इसी प्रणाली का इस्तेमाल

जानकारी के लिए बता दें कि इस प्रणाली का इस्तेमाल तेलंगाना सरकार वर्तमान में नगरपालिका प्रशासन, राजस्व और वित्त जैसे पांच विभागों में कर रही है। इन सभी पांच विभागों में केसलोड सर्वाधिक है।

http://tsolcms.cgg.gov.in/ (तेलंगाना एक olcms पोर्टल यहाँ देखें)

क्या है प्रोजेक्ट OCLMS ?

सरकारी विभागों को नियमित कामकाज के दौरान नागरिकों, अन्य विभाग के अधिकारियों, ठेकेदारों आदि द्वारा दायर मुकदमों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कानूनी प्रक्रिया के अनुपालन में, सरकारी अधिकारियों को न्यायालयों में सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी अधिवक्ताओं (जीपी) के साथ निरंतर संपर्क में रहना होता है। सरकार के हितों की रक्षा के लिए, संबंधित विभाग के अधिकारियों को न्यायालयों के समक्ष मामले के प्रभावी प्रतिनिधित्व के लिए सरकारी अधिवक्ताओं को समय सीमा के भीतर प्रासंगिक जानकारी प्रदान करनी होती है।

  • मौजूदा मैनुअल सिस्टम प्रणाली में सरकारी वकील को मुक़दमे से सम्बंधित कनेक्टेड रिकॉर्ड जैसे काउंटर-शपथ पत्र आदि प्रस्तुत करने में देरी होती है। इस देरी को दूर करने के लिए OCLMS प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। OCLMS सॉफ्टवेयर विभिन्न रिपोर्टों का विश्लेषण करके सरकारी अधिकारियों को प्रभावी और समय पर निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है।
  • सरकारी अधिकारी द्वारा पोर्टल पर लॉग इन करने के बाद एक डैशबोर्ड रिपोर्ट प्रदर्शित होता है। यह डैशबोर्ड रिपोर्ट विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की सूची, अवमानना के मामलों की सूची, जिन मामलों में काउंटर दायर किया जाना है, उन मामलों की सूची जिनके लिए निर्णय सुनाया गया है आदि को दर्शाता है। इन सभी रिपोर्टों को विस्तृत केस, केस इतिहास स्तर तक विषयवार, जिलेवार, अधिकारीवार आदि में चुनकर पढ़ा जा सकता है।
  • OCLMS सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए जावा जैसी सिद्ध ओपन सोर्स तकनीकों का उपयोग किया गया है। अन्य विभागों/संगठनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर को आसानी से अपडेट और कस्टमाइज भी किया जा सकता है।

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