कोरबा (आईपी न्यूज)। डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी ने शिक्षा के नाम पर पूरे देश में एक बड़ा साम्राज्य तो खड़ा कर लिया है, लेकिन संस्था नियम कायदों को भी ठेंगा दिखाने का काम कर रही है। न ही केन्द्र के और न ही राज्य सरकारों के नियमों का ठीक तरह से पालन किया जाता है। संस्थान अपने बनाए नियमोें को क्रियान्वित करना कहीं ज्यादा पसंद करता है। इधर, शिक्षकों व स्टाॅफ के वेतन व अन्य सुविधाओं को लेकर कई पेंच नजर आ रहे हैं। डीएवी द्वारा वेतनमान का अलग- अलग निर्धारण किया जाना बताया गया है। जिस प्रोजेक्ट से जैसी डील होती है उस लिहाज से वेतन दिया जाता है। एसईसीएल के अंतर्गत संचालित डीएवी विद्यालयों के शिक्षकों व अन्य स्टाॅफ को सातवां वेतनमान नहीं दिया जा रहा है। बताया गया है कि छठवां वेतनमान भी पूरा नहीं मिल रहा है। जबकि डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी को एसईसीएल वेतन सहित अन्य सुविधााओं के लिए पूरे पैसे दे रहा है। दस्तावेजों के अनुसार एसईसीएल सालाना चार से छह करोड़ रुपए तक की रकम डीएवी प्रबंधन को दे रहा है। फीस व अन्य शुल्क के तौर पर 50 से 80 लाख रुपए तक की रकम अलग से प्राप्त की जा रही है। इसके बावजूद शिक्षकों को उचित वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाना कई सवालों कोे खड़ा करता है।
बड़ी चालाकी से तैयार की जा रही आडिट रिपोर्ट, प्रभारी आरडी ने कहा- एसईसीएल से मिलती है अंतर राशि
डीएवी कालेज मैनेजिंग कमेटी के विद्यालय वार्षिक आडिट रिपोर्ट बड़ी चालाकी के साथ तैयार करवाते हैं। एक उदाहरण के तौर पर यहां बताना होगा कि डीएवी पब्लिक स्कूल, एसईसीएल गेवरा ने 2017-18 की आडिट रिपोर्ट तैयार करवाई। इसमें चार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम अन्य आय के रूप में दर्शायी गई। फीस व सेल्स के रूप में 61 लाख रुपए से अधिक की आय का उल्लेख किया गया। इस रिपोर्ट को देखने के बाद यह सवाल उठता है कि चार करोड़ रुपए से ज्यादा की आय कहां से हुई? दरअसल यह रकम एसईसीएल गेवरा प्रोजेक्ट द्वारा दी गई है, लेकिन आडिट रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं किया जाना समझ से परे है। बताया गया है कि एसईसीएल के नाम को नहीं दर्शाने के पीछे की वजह तकनीकी है (इसका खुलासा खबर की अगली कड़ी में किया जाएगा)। दूसरा यह कि आडिट रिपोर्ट में जो खर्चे बताए गए हैं इनमें कहीं भी वेतन शब्द का उल्लेख नहीं है। स्थापना व्यय में चार करोड़ रुपए से अधिक की रकम दर्शायी गई है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं होता कि शिक्षकों और अन्य स्टाॅफ के वेतन में कितना व्यय हो रहा है। इस संदर्भ में डीएवी के प्रभारी क्षेत्रीय निदेशक प्रशांत कुमार से चर्चा की गई थी। उन्होंने बताया था कि एसईसीएल अंतर की राशि उन्हें देता हैं। इसी में वेतन इत्यादि का भुगतान होता है।

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