लोक जनशक्ति पार्टी में जारी घमासान के बीच चिराग पासवान बुधवार को पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने चाचा पशुपति कुमार पारस पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन लोगों को संघर्ष का रास्‍ता पसंद नहीं था, उन्‍होंने ही धोखा दिया है।

उन्होंने कहा कि LJP को पहले भी तोड़ने की कोशिश की गई थी। मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं। शेर का बेटा हूं। पार्टी पापा की सोच के साथ मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी। मुझे यह अधिकार पार्टी का संविधान ही देता है। कोई भी संगठन इसके अनुरूप ही चलता है। यह लड़ाई लंबी है। हम समय-समय पर सवालों का जवाब देंगे । मैं मीडिया के सामने आउंगा।

उन्होंने कहा कि जब पापा (रामविलास पासवान) एडमिट थे, तभी पार्टी को तोड़ने की कवायद जेडीयू कर रही थी। पापा ने भी चाचा पारस को कहा था। पार्टी में कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे। अगर जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी मिलकर लड़ते तो परिणाम और अच्छा होता। मगर, नीतीश के सामने नतमस्तक होना पड़ता, जो हमें मंजूर नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि दुख मुझे इस बात का है कि जब मैं बीमार था, उस समय मेरे पीठ पीछे जिस तरह से ये पूरा षड्यंत्र रचा गया। मैंने चुनाव के बाद अपने चाचा से संपर्क करने का, उनसे बात करने का निरंतर प्रयास किया। जब कोई संवाद नहीं हुआ तो होली के दिन परिवार के लोग भी नहीं थे। उस दिन मैंने उन्हें पत्र भी लिखा था। मैंन उसके जरिए तो उनसे बात करने की कोशिश की।

चिराग पासवान ने कहा, “सदन के नेता का चुनाव ससंदीय समिति का फैसला होता है। मौजूदा सांसद इस बारे में फैसला नहीं ले सकते। ऐसी खबरें हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है। लेकिन पार्टी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष तभी हट सकता है, जब उसकी मौत हो गई हो या फिर उसने खुद इस्तीफा दे दिया हो।”

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