नई दिल्ली। विदेशी सहायता का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) (Parliament passes The Foreign Contribution (Regulation) Amendment Bill, 2020) में संशोधन के विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास करा लिया है. इन संशोधनों में विदेशी सहायता पाने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के पदाधिकारियों के लिए आधार अनिवार्य कर दिया गया है. इसके अलावा इसमें सरकारी अधिकारियों के लिए विदेशी धन लेने पर पूरी तरह रोक लगाने का भी प्रावधान है. विधेयक पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि विदेशी सहायता और उसके उपयोग में पारदर्शिता लाने के लिए ये संशोधन जरूरी हैं. आपको बता दें कि एफसीआरए के तहत पंजीकृत एनजीओ को 2016-17 और 2018-19 के बीच 58,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी फंड मिला. इस समय देश में करीब 22,400 एनजीओ हैं.

FCRA में संशोधन से जुड़ी जरूरी बातें

एफसीआरए में प्रस्तावित संशोधनों में एनजीओ के लिए विदेशी सहायता से मिली रकम से ऑफिस के खर्चे की सीमा घटाकर 20 फीसद कर दी गई है यानी एनजीओ को विदेशी सहायता का 80 फीसदी उस काम में खर्च करना होगा जिसके लिए विदेशी धन दिया गया था.

इसके साथ ही सरकार किसी एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को तीन साल के लिए निलंबित करने के अलावा उसे निरस्त भी कर सकती है. इन संशोधनों के बाद देश में अब कोई भी एनजीओ केवल दिल्ली स्थित स्टेट बैंक (SBI) की शाखा में ही विदेशी सहायता प्राप्त कर सकेगा. वैसे दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले एनजीओ के लिए स्थानीय बैंक में खाता खोलने की अनुमति दी गई है. सरकार बैंक की ऐसी शाखाओं की सूची जारी करेगी.

2011 में लागू कानून में दो बार किया जा चुका है संशोधन

विदेशी अंशदान (योगदान) विधेयक, 2010 को लोगों या एसोसिएशन या कंपनियों के विदेशी चंदे के इस्तेमाल को नियमित (Regulate) करने के लिए लागू किया गया था. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के लिए विदेशी चंदा (Foreign Contribution) लेने या इस्तेमाल पर पाबंदी है. ये कानून 1 मई 2011 को लागू हुआ था. दो बार इसमें संशोधन हो चुका है. वित्त कानून की धारा-236 के जरिये पहला संशोधन हुआ. इसके बाद वित्त कानून, 2018 की धारा-220 के जरिये दूसरा संशोधन किया गया था.

सरकारी अधिकारी या विभाग नहीं ले सकेंगे विदेशी चंदा

संशोधन विधेयक में कहा गया है कि विदेशी नागरिक होने पर पासपोर्ट की एक प्रति या ओसीआई कार्ड (OCI Card) की प्रति देना जरूरी होगा. इसमें लोक सेवक (Public Servants) और सरकार या इसके नियंत्रण वाले निगम को ऐसी इकाइयों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो विदेशी अनुदान हासिल नहीं कर सकती हैं. आसान शब्‍दों में समझें तो कोई भी सरकारी विभाग या अधिकारी विदेशी चंदा नहीं ले सकेगा.

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