नोएडा के कलेक्टर सुहास ने पैरालंपिक में रजत पदक जीतने के बाद कहा- ‘जिंदगी में पहली बार एक ही समय उन्हें इतनी खुशी हो रही है और साथ ही निराशा भी’

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और सुहास यथिराज ने पैरालंपिक खेलों में रजत पदक जीतने के बाद कहा कि पहली बार उनकी जिंदगी में इस तरह की मिश्रित भावनायें आ रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुहास को फोन पर बधाई दी और उनपर गर्व होने की बात कही. मुख्यमंत्री योगी ने भी उन्हें बधाई दी. सुहास यथिराज नोएडा के जिलाधीश हैं.

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और सुहास यथिराज ने पैरालंपिक खेलों में रजत पदक जीतने के बाद कहा कि पहली बार उनकी जिंदगी में इस तरह की मिश्रित भावनायें आ रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुहास को फोन पर बधाई दी और उनपर गर्व होने की बात कही. मुख्यमंत्री योगी ने भी उन्हें बधाई दी. सुहास यथिराज नोएडा के जिलाधीश हैं.

सुहास ने एक पैरालंपिक एसोसिशन के वीडियो इंटरव्यू में कहा, ‘जिंदगी में पहली बार एक ही समय उन्हें इतनी खुशी हो रही है और साथ ही निराशा भी.’

नोएडा के 38 वर्षीय जिलाधिकारी (डीएम) सुहास रविवार को टोक्यो पैरालंपिक की पुरूष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से 21-15 17-21 15-21 से हार गये लेकिन उन्होंने रजत पदक पर अपनी दावेदारी पहले ही निश्चित कर ली थी.

भारतीय पैरालंपिक समिति द्वारा पोस्ट किये गये वीडियो संदेश में उन्होंने मैच जीतने के बाद कहा, ‘बहुत ही भावुक क्षण है. मैंने कभी भी एक साथ इतनी खुशी और इतनी निराशा कभी महसूस नहीं की. खुश इसलिये हूं कि रजत पदक जीता लेकिन निराश इसलिये हूं क्योंकि मैं स्वर्ण पदक से करीब से चूक गया. ’

सुहास को एक टखने में प्रॉब्लम है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन भाग्य वही देता है जिसका मैं हकदार हूं और शायद मैं रजत पदक का हकदार था इसलिये मैं कम से कम इसके लिये खुश हूं. ’

उन्होंने कहा कि वह उम्मीद कर रहे थे कि योयोगी नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रगान बजेगा लेकिन उनके हाथों से स्वर्ण पदक फिसल गया और ऐसा नहीं हुआ.

एसएल4 क्लास एकल के दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी ने कहा, ‘हां, आप यही कामना करते हो, आप इसके लिये ही ट्रेनिंग लेते हो, आप इसकी ही उम्मीद और सपना देखते हो. ’

उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने कहा कि मैं कभी इतना निराश और इतना खुश नहीं हुआ था. इतना करीब आकर, फिर भी इतनी दूर लेकिन पैरालंपिक में पदक जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. मैंने पिछले कुछ दिनों में जो प्रदर्शन किया है, उससे मुझे गर्व है. ’

उन्होंने कहा, ‘किसी भी खिलाड़ी के लिये ओलंपिक या पैरालंपिक में पदक से ज्यादा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है, इसलिये यह मेरे लिये दुनिया का सबसे बड़ा पदक है. ’

कर्नाटक के हसन में जन्में सुहास ने अपने पिता के साथ काफी यात्रा की है क्योंकि वह सरकारी अधिकारी थे जिससे उनका अलग अलग जगह ट्रांसफर होता रहता था.

सुहास ने कहा, ‘मैं अपने दिवंगत पिता की वजह से ही यहां पर हूं और यह पदक जीता है. और भी कई लोगों की शुभकामनाओं की वजह से मैं यहां पर हूं जिसके लिये मैं उनका धन्यवाद करता हूं क्योंकि उनकी वजह से ही मैं इस बड़े मंच पर अच्छा कर सका. मैं बहुत खुश हूं, यह गर्व का क्षण है. ’

पहले आईएएस अधिकारी जिसने ओलंपिक खेलों में जीता पदक

नोएडा के डीएम और बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज ने पैरालंपिक खेलों के आखिरी दिन रविवार रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया जिसे उनकी पत्नी ने गर्व करने वाला पल बताया.

सुहास पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले देश के पहले आईएएस अधिकारी है. उनकी इस उपलब्धि पर आईएएस संघ और आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारियों ने भी खुशी जतायी जिसमें उनके साथ काम करने वाले नोएडा के अधिकारी भी शामिल है.

सुहास की पत्नी ऋतु सुहास ने कहा उन्हें स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन रजत पदक हासिल करना भी भी गर्व की बात है .

उन्होंने कहा, ‘ मुझे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन देश के लिए रजत पदक जीतना भी गर्व की बात है. देश के लिए पदक जीतने पर मुझे तथा पूरे परिवार को सुहास पर गर्व है.’

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