नई दिल्ली। पिछले 10 दिन के दौरान इस्पात कंपनियों ने प्रति टन तकरीबन 2,000 रुपये तक का इजाफा किया है, जिससे दाम कोविड से पहले वाले स्तर के करीब पहुंच गए हैं। जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा कि पिछले दो सप्ताह के दौरान पेलेट और लौह अयस्क के दामों में करीब 10 डॉलर प्रति टन और कबाड़ के दामों में 25 से 30 डॉलर प्रति टन तक का इजाफा हुआ है। इस तरह कच्चे माल की लागत वृद्धि भी इस्पात के दामों का एक कारण रही है।

जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्य एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दामों में सात से आठ प्रतिशत का अंतर था। जुलाई और अगस्त में हम छह प्रतिशत की भरपाई कर पाए हैं, लेकिन हमारे दाम अब भी अंतररष्ट्रीय दामों से कम हैं। चीन से हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) का आयात 500 से 510 डॉलर प्रति टन की दर पर होता है और घरेलू दाम अब भी इस स्तर से कम हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में दाम इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि मांग में तेजी है और अंतरराष्ट्रीय दाम बढ़ चुके हैं। इस दाम वृद्धि से हमारे हालात में सुधार हो रहा है।

जून में हॉट रोल्ड कॉइल के दाम 38,000 रुपये प्रति टन से लगातार गिरते हुए 34,750 रुपये प्रति टन दर्ज किए गए थे। अलबत्ता जुलाई से दामों में तेजी शुरू हो गई। एक उत्पादक ने कहा कि निर्यात ऑर्डर का काफी दबाव था और अधिकांश प्रमुख उत्पादकों की मिलें पूर्ण क्षमता पर नहीं चल रही थीं। उन्होंने कहा कि

आपूर्ति पक्ष की ओर से सुधार होने लगा है और मांग की भी वापसी होने लगी। चीन को छोड़कर अधिकांश देशों ने जून के महीने में उत्पादन में गिरावट दर्ज की है।

विश्व इस्पात संघ (डब्ल्यूएसए) के आंकड़ों के अनुसार जून 2020 में चीन ने 9.16 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया जो जून 2019 की तुलना में 4.5 प्रतिशत ज्यादा है। इसकी तुलना में भारत के उत्पादन में 26.3 प्रतिशत, जापान में 36.3 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 14.3 प्रतिशत, जर्मनी में 27.3 प्रतिशत, इटली में 13 प्रतिशत और फ्रांस तथा स्पेन में क्रमश: 34.9 प्रतिशत और 31.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिका ने 47 लाख टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया जो जून 2019 की तुलना में 34.5 प्रतिशत कम रहा।

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