इस्पात कंपनियों ने दामों में प्रति टन करीब 2,000 रुपये तक का इजाफा किया है। यह दाम वृद्धि इसी महीने से प्रभाव में आ चुकी है। इसी के साथ इस्पात के दाम कोविड-19 के पहले के स्तर से ज्यादा हो गए हैं।

ज्यादातर कंपनियों ने 1 अक्टूबर से इस्पात की चादरों के दामों में प्रति टन 1,500 से 2,000 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। इस्पात की चादरों के बेंचमार्क हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) के औसत दाम बढ़कर अब प्रति टन 43,500 रुपये हो गए हैं, जबकि मार्च में लॉकडाउन से पहले इसके दाम करीब 39,000 रुपये प्रति टन थे।

घरेलू मांग में तेजी की वजह से दामों में यह बढ़ोतरी हुई है। एएमएनएस इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि घरेलू मांग में पिछले महीने के मुकाबले सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद सुधार वाला सबसे पहला खंड ग्रामीण था और फिर गैर-बुनियादी ढांचे वाले खंड की मांग जोर पकडऩे लगी। इसके बाद हमें यात्री वाहनों में कुछ तेजी दिखाई दी है और अब वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में भी 10 से 15 प्रतिशत का सुधार आ चुका है।

मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई के बाद से इस्पात मिलें दामों में 7,000 से 7,500 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी कर चुकी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा मानना है कि एचआरसी की कम आपूर्ति के बीच अंतिम उपयोगकर्ताओं द्वारा स्टॉक भरने की वजह से भी इस्पात की चादरों के दामों में मजबूती आई है, हालांकि उद्योग में स्टॉक का स्तर कम ही रहा है। इसके अलावा अक्टूबर 2020 की डिलिवरी के लिए घरेलू इस्पात मिलों की निर्यात प्रतिबद्धताओं के कारण देश में आपूर्ति की स्थिति कम रहने के आसार हैं। देश के अनलॉक चरण में प्रवेश करने के बाद से उत्पादन और खपत में इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2020 के मुकाबले अगस्त में कच्चे इस्पात और तैयार इस्पात उत्पाद में क्रमश: 5.1 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले अगस्त 2020 में कच्चे और तैयार इस्पात उत्पादन में क्रमश: 4.2 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत तक की गिरावट रही है, जबकि अगस्त 2020 के दौरान इस्पात की खपत में पिछले महीने के मुकाबले 7.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।

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