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एनटीपीसी ने एक संपूर्ण हरित ऊर्जा एवं ईंधन पोर्टफोलियो की योजना बनाई है। कंपनी ने अगले दशक के दौरान अक्षय ऊर्जा स्रोतों का अपना योगदान बढ़ाकर 25 प्रतिशत किए जाने की योजना तैयार की है।

ताप विद्युत दिग्गज सौर और पवन ऊर्जा, सोलर-विंड हाइब्रिड, स्टोरेज-केंद्रित अक्षय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, और ग्रीन मिथेनॉल परियोजनाओं में निवेश करेगी। निवेशकों को कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अगले एक दशक के दौरान, एनटीपीसी का ऊर्जा खंड ताप पोर्टफोलियो 90 प्रतिशत से घटकर 70 प्रतिशत रह जाएगा और अक्षय ऊर्जा स्रोतों का योगदान मौजूदा 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो जाएगा।

एनटीपीसी ने पिछले सप्ताह एक अलग सहायक इकाई एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी की घोषणा की थी। सभी अक्षय ऊर्जा और संबद्घ परियोजनाएं मौजूदा 75 कर्मियों के साथ अब इस उद्यम के तहत आएंगी। जिन नए क्षेत्रों में, एनटीपीसी निवेश की संभावना तलाश रही है, वे हैं ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन मिथेनॉल। इस घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि एनटीपीसी तेलंगाना में अपने रामागुंडम ताप विद्युत संयंत्र के पास ग्रीन मिथेनॉल का परीक्षण पहले ही शुरू कर चुकी है और वह इसमें कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है।

एनटीपीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह योजना शुरुआती चरण में है, लेकिन हमने दो-तीन साल में बड़े ग्रीन हाइड्रोजन पोर्टफोलियो का लक्ष्य रखा है। मौजूदा समय में दो परीक्षण योजनाएं चल रही हैं – एक है लेह में हाइड्रोजन की, और दूसरी रामागुंडम में हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर इस्तेमाल वाली ग्रीन मिथेनॉल की।’ केंद्र सरकार ने बायो-सीएनजी और हाइड्रोजन-सीएनजी (एचसीएनजी) को पिछले महीने स्वीकार्य योग्य वाहन ईंधन के तौर पर अधिसूचित किया।

अप्रैल में, एनटीपीसी ने लेह और दिल्ली में 10 हाइड्रोजन फ्यूल-सेल आधारित इलेक्ट्रिक बसें मुहैया कराने के लिए अभिरुचित पत्र आमंत्रित किया था। जून में निवेशकों के साथ बातचीत में एनटीपीसी प्रबंधन ने कहा था, ‘परीक्षण परियोजना अक्षय ऊर्जा, हाइड्रोजन स्टोरेज से हाडड्रोजन निर्माण समेत हाइडोजन की संपूर्ण वैल्यू चेन के साथ चलाई जा रही है।’ वरिष्ठï अधिकारियों का कहना है कि एनटीपीसी ने किसी नई ताप विद्युत परियोजनाओं में निवेश नहीं करने और अपनी ज्यादातर पूंजी अक्षय ऊर्जा योजनाओं पर खर्च करने का निर्णय लिया है।

एनटीपीसी ने इस महीने के शुरू में अपने निवेशकों को बताया कि कंपनी ने वर्ष 2032 तक 30 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन खंड की योजना बनाई थी। तब तक, वह करीब 130 जीडब्ल्यू क्षमता वाली कंपनी बनना भी चाहती है। जौजूदा समय में यह क्षमता 63 जीडब्ल्यू है। कंपनी के 15 डब्ल्यू कोयला आधारित संयंत्र निर्माण के चरण में हैं।

एनटीपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एनटीपीसी इस वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है और यह रकम मुख्य तौर पर बॉन्ड बाजार से जुटाई जाएगी। इसमें से, 4,000-5,000 करोड़ रुपये अक्षय ऊर्जा के लिए होंगे।’

एनटीपीसी ने हाल में भारत में अक्षय ऊर्जा, विद्युत वितरण क्षेत्रों में निवेश के लिए नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के साथ समझौता किया था।

अक्षय ऊर्जा विद्युत परियोजनाओं के मोर्चे पर, एनटीपीसी का मौजूदा समय में 5.5 जीडब्ल्यू का पोर्टफोलियो है, जिसमें से 1जीडब्ल्यू चालू हो चुकी है, 2.3 जीब्ल्यू निर्माणाधीन है, और उसने करीब 2.4 जीडब्ल्यू परियोजनाओं में भाग लेने की योजना बनाई है।

कंपनी दो माध्यमों – ईपीसी (इंजीनियरिंग, संवद्र्घन, और निर्माण) मोड, जिसमें वह केंद्र और राज्यों द्वारा जारी निविदाओं में हिस्सा लेग, और दूसरा, है डेवलपमेंट मोड। डेवलपमेंट मोड में वह निजी कंपनियों को अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं सौंपती है, और राज्यों को बेचने के लिए बिजली खरीदती है।

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