आईटी पर बनी संसद की स्थाई समिति ने 5G सेवाओं को लेकर सरकार की खिंचाई की है । कमेटी के मुताबिक कई देश 5G सर्विसेज देने लगे हैं जबकि भारत 5G सेवाएं देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है।

सरकार ने भारत में 5G सेवाएं 2022 में शुरू होने की उम्मीद जताई है, लेकिन संसद की स्थाई कमिटी ने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं।

संसद की स्थाई कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5G स्पेक्ट्रम की उपलब्धता काफी कम है , साथ ही इसकी कीमत बहुत ज्यादा है सरकार अभी तक इसका ट्रायल भी शुरू नहीं कर पाई है। 5G सेवाओं की बैकबोन फाइबर बिछाने का काम बहुत धीमा है। साथ ही राइट ऑफ वे से जुड़े मुद्दे अभी नहीं सुलझऐ है जिसके चलते रोलआउट कर पाना आसान नहीं होगा। सरकार की तरफ से नेटवर्क की सुरक्षा को लेकर भी कोई इंतजाम नहीं किया गया है। कमिटी के मुताबिक ऐसे में कंपनियों के लिए सेवाएं शुरू करना आसान नहीं होगा

सरकार मार्च में स्पेक्ट्रम की नीलामी कराने जा रही है लेकिन इस नीलामी में 5G स्पेक्ट्रम उपलब्ध नहीं है। साथ ही टेलीकॉम कंपनियों ने ट्रायल के लिए पिछले साल जनवरी मे आवेदन किया था लेकिन अभी तक ट्रायल के लिए स्पेक्ट्रम नहीं मिला है।

रिलायंस जियो और एयरटेल दोनों सितंबर तक 5जी सेवाओं की शुरुआत करने का दावा कर रहे हैं । लेकिन स्पेक्ट्रम की उपलब्धता नहीं होने और कीमत ज्यादा होने के चलते सेवाएं सीमित ही होंगी । अगर सरकार कंपनियों को सस्ते में 5G स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराती है तो भारत भी 5जी सेवाओं की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

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