नई दिल्ली। कोविड-19 के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के बावजूद केंद्र सरकार भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल) में अपनी हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया को जारी रखे हुए है। असम सरकार ने नुमालीगढ़ रिफाइनरी (एनआरएल) में बीपीसीएल की 61.65 फीसदी की हिस्सेदारी बिक्री को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया है।

एक सरकारी कंपनी को एनआरएल की बिक्री करना बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया की दिशा में पहले कदम के तौर देखा जा रहा है। राज्य सरकार ने इस सौदे को एनओसी इस शर्त पर दी है कि एनआरएल में 13.65 फीसदी की और हिस्सेदारी की बिक्री असम को की जाएगी जिससे परियोजना में राज्य की हिस्सेदारी 12.35 फीसदी से बढकर 26 फीसदी हो जाएगी।

यह बिक्री बीपीसीएल के विनिवेश की नींव रखेगी जो अक्टूबर 2021 के बाद ही पूरी होने की उम्मीद की जा रही है। ऐसा लॉकडाउन और कंपनी के मूल्यांकन में आई कमी के कारण है। कंपनी के शेयर का भाव जो 5 फरवरी को 501.65  रुपये प्रति शेयर था, वह सोमवार को 27 फीसदी फिसलकर 368.3 रुपये प्रति शेयर रह गया। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक शेयर कीमत में कमी सकल रिफानरी मार्जिन में आई कमी, शेयर बाजारों में गिरावट और इस बात की चिंता के कारण है कि तेल कीमत में कमी आने से कंपनी में निजी क्षेत्र के हित पर बुरा असर पड़ेगा। मौजूदा बाजार पूंजी के आधार पर, बीपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी का मूल्य करीब 42,750 करोड़ रुपये है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 नवंबर, 2019 को बीपीसीएल में सरकार की 53.29 फीसदी की हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस हिस्सेदारी बिक्री से नूमालीगढ़ रिफाइनरी में कंपनी की हिस्सेदारी को बाहर रखा जाएगा, जिसे कोई सरकारी कंपनी खरीदेगी। एनआरएल का निगमीकरण 1993 में 1985 के असम समझौते के तहत किया गया था और इसीलिए मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विनिवेश प्रक्रिया से कंपनी को छूट देने की मांग की थी।

इस मामले से करीब से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक असम सरकार ने इस शर्त के साथ विनिवेश प्रक्रिया को मंजूरी देकर कि जो कोई भी रिफाइनरी में बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदेगा उसे 13.65 फीसदी की हिस्सेदारी समान कीमत पर राज्य को बेचनी पड़ेगी, इनकार करने के अपने पहले अधिकार का इस्तेमाल किया है।

दिलचस्प है कि एनआरएल में 26 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली ऑयल इंडिया पहले ही निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को यह लिख चुकी है कि वह बीपीसीएल की हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने को इच्छुक है। बीपीसीएल पहले ही 22,000 करोड़ रुपये के निवेश से एनआरएल की मौजूदा प्रति वर्ष 30 लाख टन की क्षमता को बढ़ाकर 90 लाख टन करने की एक विकास परियोजना पर काम कर रही थी।
रिफाइनरी असम के गोलाघाट जिले के नुमालीगढ़ में 15 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षरित असम समझौते के तहत स्थापित की गई थी जिससे राज्य में विद्रोह पर काबू पाया जा सका था। राज्य के साथ शुरुआती समझौते के आधार पर भविष्य में हिस्सेदारी बिक्री होने पर इनकार करने का पहला अधिकार राज्य सरकार को दिया गया था। 2018-19 के दौरान एनआरएल का शुद्ध मुनाफा 3.02 फीसदी घटकर 1,980.3  करोड़ रुपये रही थी जबकि उसके पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 2,041.95 करोड़े रुपये रही थी।

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