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कच्चे तेल की कीमतों में आज गिरावट देखने को मिल रही है. दरअसल चीन से संकेत मिले हैं आगे मांग में दबाव बना रहेगा जिससे कीमतें नीचे आई हैं. चीन ने सितंबर तिमाही के आंकड़े जारी कर दिए हैं. जो भले ही अनुमान से बेहतर है लेकिन ये अभी भी सामान्य स्तरों से नीचे है. साथ ही आगे के लिए अनुमान भी बेहतर नहीं है.

चीन की कोविड को लेकर कड़ी नीतियों से अर्थव्यवस्था में आगे दबाव और बढ़ने की संभावना है. जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर हैं. वहीं गिरावट के बाद भी कच्चा तेल फिलहाल 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर ही है. अगर क्रूड पर दबाव इसी तरह से बना रहा तो तेल कंपनियां अपने घाटे का कुछ हिस्सा निकाल सकेंगी और आने वाले समय में खुदरा कीमतों में राहत मिलेगी.

कहां पहुंचा कच्चा तेल

कच्चा तेल आज करीब आधा प्रतिशत टूटकर कारोबार कर रहा है. ब्रेंट क्रूड फिलहाल 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब है. वहीं डब्लूटीआई 85 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा है.

पिछले हफ्ते ही क्रूड की कीमतों में 2 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली थी. फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें मंदी की आशंका और क्रूड सप्लाई करने वाले देशों के फैसलों के बीच झूल रही हैं.

ओपेक पहले ही कह चुका है कि उसके लिए कच्चे तेल की कीमत का सही स्तर 90 डॉलर प्रति बैरल है. इसी वजह से 90 डॉलर के नीचे आने के साथ ही ओपेक प्लस ने तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था.

हालांकि मांग के लगातार गिरने की स्थिति में कीमतों को रोक पाना ओपेक देशों के बस में भी नहीं होगा और ऐसी स्थिति में प्रोडक्शन घटाना भी नुकसान बढ़ाएगा क्योंकि उत्पादन घटाने से गिरती कीमतों के बीच उनकी खुद की आय भी गिरेगी.

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