कोरबा (आईपी न्यूज)। पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के दावों और हकीकत में खासा अंतर देखने को मिल रहा है। इस कार्य में ईमानदारी न ही औद्योगिक प्रतिष्ठान दिखा रहे हैं और न ही पर्यावरण संरक्षण मंडल। नगरीय निकाय व प्रशासन भी इसको लेकर सख्त नहीं है। यही वजह है की जिले के शहरी इलाकों में एक्यूआई 400 के खतरनाक स्तर को पार कर रहा है। Attack to Pollution  श्रृंखला में आंकड़ों के साथ प्रदूषण की स्थिति, इसके कारण तथा इस कार्य में औद्योगिक प्रतिष्ठानों, पर्यावरण संरक्षण मंडल, नगरीय निकाय व प्रशासन की कमियों और खामियों को भी उजागर किया जा रहा है।
भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको), वेदांता का एक महत्वूपूर्ण अंग। विनिवेश के बाद निजी हाथों में जाने के बाद से बालको का कारोबार चर्चा और विवादों में रहा है। बालको के 1740 मेगावाट क्षमता वाले दो विद्युत संयंत्र प्रचालन में हैं। दोनों विद्युत संयंत्रों से उत्सर्जित राख समीप में ही स्थित बांध में समाहित होती है। आवासीय इलाके से लगे हुए बांध में बालको के अधिकारिक रिकार्ड के अनुसार एक करोड़ 28 लाख पांच हजार 479 टन (31 अक्टूबर, 2019 की स्थिति में) राख का भण्डार है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्र के विद्युत संयंत्रों को राखड़ बांध के चारों ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करना होता है। इधर, बालको प्रबंधन द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन आने वाले क्षे़त्रीय कार्यालय, नागपुर को अर्द्धवार्षिक कम्प्लाइंस स्टेट्स रिपोर्ट में बांध के चारों ओर 10,500 पौधे लगाए जाने की बात कही गई है। यह रिपोर्ट 29 मई, 2019 को 1200 मेगावाट क्षमता वाले पावर प्लांट हेड आशुतोष द्विवेदी के हस्ताक्षर से भेजी गई है। जबकि हकीकत इसके ठीक विपरित है। बालको के दो हिस्से में राखड़ बांध है और दोनों बांध के चारों ओर पौधे नहीं रोपे गए हैं। दरअसल बालको ने विद्युत संयंत्र स्थापति करने के दौरान पुराने रेडमेड पांड को राखड़ बांध में तब्दील तो किया, लेकिन पौधरोपण के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। उस वक्त यथा स्थान पर पौघरोपण कर दिया गया होता तो अब तक हरा भरा ग्रीन बेल्ट विकसित हो चुका होता। हवा चलने पर बांध की राख उड़ कर आवासीय क्षेत्र में फैलती है और लोगों को इससे हलाकान होना पड़ता है। बालको प्रबंधन बांध से परे दूसरे स्थानों पर पौधरोपण कर इसका ढिंढोरा पीट रहा है। इधर, हाल ही में बालको प्रबंधन ने बांध के किनारे रोकबहरी जाने वाले मार्ग के दोनों ओर गिनती के कुछ पौधे लगाए हैं, जो जीवित रहेंगे इसकी गंुजाइश कम हैं।
जरूरी नहीं की राखड़ बांध के आसपास पौधरोपण किया जाए
बालको प्रबंधन ने पौधरोपण किया है। चुंकि बांध के आसपास जगह नहीं है, इसलिए अन्य स्थानों पर पौधे रोपे गए हैं। प्रदूषण के बहुत से कारण हैं। पर्यावरण संरक्षण मंडल प्रदूषण की स्थिति की निरंतर निगरानी करता है। समय- समय पर कार्रवाई भी की जाती है।
आरपी शिंदे, क्षेत्रीय अधिकारी
पर्यावरण संरक्षण मंडल, कोरबा

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