BMS K Lakshma Reddy
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नई दिल्ली, 30 अगस्त। कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की अनुषांगिक कंपनियों में नियोजित कामगारों का वेतन समझौता एवं बोनस जैसे प्रमुख मुद्दों को लेकर श्रमिक संगठनों ने एक राय होकर लड़ाई लड़ी है। 11वें वेतन समझौते (NCWA) के लिए भी संयुक्त रूप से चार्टर ऑफ डिमांड सौंपा गया है और जेबीसीसीआई (JBCCI) में आवाज बुलंद की जा रही है।

इधर, 2 अगस्त को यूनियन की कोयला मंत्री के साथ हुई बैठक के बाद से भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने एकला चलो का राग अलापना शुरू कर दिया है।

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श्री रेड्डी वेतन समझौते से जुड़े डीपीई (Department of Public Enterprises) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर साथी यूनियन की आलोचना करने लगे हैं। बीएमएस के कोल प्रभारी के बयानों से कोयला कामगारों के हितों की लड़ाई लड़ने को लेकर यूनियन के बीच बनी एकजुटता पर खतरा मंडराने लगा है।

दो अगस्त को कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी (Union Coal Minister Pralhad Joshi) के साथ हुई बैठक में सीटू नेता डीडी रामनंदन ने वेतन समझौते के लिए डीपीआई के नियमों को शिथिल करने का मुद्दा उठाया था। मंत्री ने इस पर गंभीरता दिखाई थी। श्री जोशी ने सभी मुद्दों को लिखित में देने कहा था।

बैठक के बाद कोयला मंत्री के निर्देशानुसार बैठक में उठाए गए मुद्दों को ड्राफ्ट किया गया, लेकिन इस पत्र में बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने हस्ताक्षर नहीं किए गए। हस्ताक्षर करने दूसरे यूनियन के श्रमिक नेताओं ने उनसे संपर्क किया तो कोई रिस्पांस नहीं किया। जबकि जेबीसीसीआई की 5वीं बैठक के बेनतीजा निकलने के बाद चारों यूनियन ने एक राय होकर कोयला मंत्री से मुलाकात के लिए समय देने की गुहार लगाई थी।

इसी तरह बीएमएस द्वारा 4 अगस्त को वेतन समझौते के वित्तीय पहलुओं पर चर्चा करने सीआईएल द्वारा गठित कमेटी की बैठक का बहिष्कार भी कर दिया गया।

कुछ दिनों पूर्व छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ की कार्यसमिति की बैठक हुई थी। इस दौरान बीएमएस के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य श्री रेड्डी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा था कि कोयला कामगारों के वेतन समझौते में DPE कोई मुद्दा नहीं है।

श्री रेड्डी ने किसी अन्य यूनियन का नाम लिए बगैर आरोप लगाया था कि 11वें वेतन समझौते में डीपीई गाइडलाइन की बाधा कुछ संगठनों द्वारा खड़ी की जा रही है। 10वें वेतन समझौते के दौरान डीपीई को खारिज किया जा चुका है।

श्री रेड्डी ने कहा था कि जेबीसीसीआई की बैठकों के दौरान सीआईएल प्रबंधन द्वारा एमजीबी को लेकर जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए, इनमें विसंगतियां निकालने का काम केवल बीएमएस ने ही किया है। बीएमएस कोयला कामगारों का वेतन समझौता जल्द चाहता है, लेकिन अन्य श्रमिक संगठन ऐसा नहीं चाहते हैं।

इसके बाद दो दिनों बाद श्री रेड्डी ने एसईसीएल के जोहिला क्षेत्र के दौरे के दौरान जेबीसीसीआई- XI के गठन का पूरा श्रेय बीएमएस को दिया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि अन्य यूनियन केवल राजनीति करते हैं।

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दूसरे यूनियन नेताओं ने जताई नाराजगी

बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी के इन बयानों को लेकर अन्य यूनियन के नेताओं ने गहरी नाराजगी जताई है। कोल सेक्टर की सबसे बड़ी यूनियन एचएमएस (HMS) के नाथूलाल पांडेय ने कहा कि कोयला मंत्री के साथ हुई मीटिंग में जब DPE का मुद्दा उठाया गया, तब चारों यूनियन एक साथ थे। डीपीई कोई मुद्दा नहीं है, यह कहा जा रहा है तो उनको (रेड्डी) को कौन समझा सकता है।

सीटू (CITU) नेता और कोल सेक्टर के मुद्दों के तकनीकी जानकार डीडी रामनंदन श्री रेड्डी को इन्फिरियटी कॉम्प्लेक्स का शिकार करार दिया। एटके (AITUC) के वरिष्ठ नेता रमेंद्र सिंह ने कहा कि बीएमएस कोल प्रभारी दोहरी नीति अपना रहे हैं। अंदर कहते हैं एकजुट रहना है और बाहर दूसरी यूनियन की आलोचना करते हैं।

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