कोलकाता, 22 जून। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोल ब्लॉक आबंटन मामले में ईएमटीए कोल लिमिटेड और उसके सहयोगियों की लगभग 27 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है।

निदेशालय ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए कंपनी और अन्य के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले की जांच शुरू की थी।

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जांच के दौरान पता चला कि कंपनी ने अवैध रूप से कोयले का खनन किया और मोटी रकम कमाई। निदेशालय ने इससे पहले इस साल फरवरी में 136 करोड़ रुपये से अधिक की चल और अचल संपत्ति कुर्क की थी।

यहां बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई 1993 से लेकर 31 मार्च 2011 तक के कोयला ब्लॉक आबंटनों को अवैध और मनमाना करार दिया था।

ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि बहुचर्चित कोल ब्लॉक आवंटन मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई की दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अपनी जांच शुरू की थी। अवैध तरीके से माइनिंग इस मामले में आरोप था कि साल 1995 और 1996 में पश्चिम बंगाल और उसकी पब्लिक अंडरटेकिंग कंपनियों को 6 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए थे।

इन कोल ब्लॉक्स में तारा पूर्वी, तारा पश्चिम, गंगारामचक, बोरजोरे, भदूलिया और पचवारा उत्तर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये सभी कोल ब्लॉक्स कैंसिल कर दिए गए थे। आरोप के मुताबिक इस कंपनी ने इन कोल ब्लॉकों से अवैध तरीके से माइनिंग की और बड़े पैमाने पर फायदा उठाया।

प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि इस कंपनी ने ज्वाइंट वेंचर कंपनी होने के नाते अवैध तरीके से माइनिंग की थी।

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जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस कंपनी और उसके निदेशकों उज्ज्वल कुमार उपाध्याय, संगीता उपाध्याय, सुजीत कुमार उपाध्याय और उनके परिजनों के नाम पर मौजूद बैंक खातों, एफडी बैलेंस और म्यूच्यूअल फंड होल्डिंग्स में जमा 26 करोड़ 93 लाख रुपए की संपत्ति को अटैच कर लिया है।

ईडी के आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में इसके पहले भी फरवरी 2022 में 136 करोड़ रुपए की बुक वैल्यू संपत्ति को अटैच किया था मामले की जांच जारी है।

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