कोल इंडिया चेयरमैन बोले- मांग बढ़ी इसलिए हुई कोयले की कमी, जानें और क्या कहा

प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि ने उन उत्पादकों को मजबूर किया, जो आयातित कोयले पर आधारित थे। ऐसे में उनकी मांगों को घरेलू कोयले से पूरा करना था।

देश में कोयला संकट की मौजूदा स्थिति को लेकर कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने आजतक से की गई बातचीत में कहा कि पिछले 7-8 दिन में स्थिति में सुधार हुआ है। यदि आने वाले समय में कोई संकट जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो मांग को पूरा करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पास पर्याप्त स्टॉक हैं।

प्रमोद अग्रवाल के अनुसार अगस्त- सितंबर के महीनों में कोयले की कमी हो गई थी, क्योंकि मांग अचानक बढ़ गई। श्री अग्रवाल ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि इन महीनों में कोयले की मांग खपत से ज्यादा होती है। हमेशा से बिजली प्लांट से इन महीनों में कोयले के स्टॉक के लिए कहा जाता है, क्योंकि बारिश के चलते कोयले का उत्पादन काफी कम हो जाता है। इस साल, बारिश का मौसम अपेक्षा से अधिक बढ़ा और गर्मी भी काफी रही।

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प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि ने उन उत्पादकों को मजबूर किया, जो आयातित कोयले पर आधारित थे। ऐसे में उनकी मांगों को घरेलू कोयले से पूरा करना था। आयातित कोयले का देश में कुल कोयला आधारित ऊर्जा में 10 प्रतिशत योगदान है।

सीआईएल चेयरमैन ने बताय कि थर्मल पावर से लगभग 2.7 गीगावाट ऊर्जा का उत्पादन होता है। कोयले की वर्तमान आवश्यकता लगभग 18-18.5 लाख टन प्रतिदिन है। सभी स्रोतों समेत लगभग 20 लाख टन की आपूर्ति की जा रही है। आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट से मांग में भी कमी आएगी और आपूर्ति में और इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा बारिश खत्म हो गई है, ऐसे में कोयले का उत्पादन भी बढ़ेगा।

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प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि बिजली की जोरदार मांग है, लेकिन इसके बावजूद जनरल शटडाउन नहीं हुआ। अक्टूबर के अंत तक बिजली संयंत्रों में स्टॉक महीने की शुरुआत से ज्यादा होगा। कोल इंडिया ने 2019 की तुलना में इस साल अगस्त-सितंबर के महीने में 35-37 प्रतिशत ज्यादा कोयला पावर प्लांट्स को दिया। अक्टबूर में 2019 की तुलना में 45 प्रतिशत ज्यादा कोयला भेजा गया। कमी से ज्यादा कोयले की कमी की धारणा ने ही समस्या पैदा की है। इस वजह से, बाजार में मांग बढ़ गई है और एक्सचेंज रेट जिस पर बिजली खरीदी जा रही है, जो कुल ऊर्जा का 7-9 प्रतिशत है, बहुत अधिक हो गई है।

चेयरमैन ने बताया कि कोल इंडिया के पास 40 मिलियन टन से अधिक स्टॉक है जो 24 दिनों तक चलेगा। 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है, जिसमें से 16.25 लाख टन सीआईएल द्वारा, 1.5 लाख टन एससीसीएल द्वारा, और 2.5 लाख टन विभिन्न स्रोतों से है, जो कैप्टिव पावर प्लांट हैं। बिजली घरों का मौजूदा स्टॉक चार दिन के स्तर पर है जो ठीक नहीं है, लेकिन इस महीने के अंत तक इसमें सुधार होगा। यदि संकट आता है, तो हम अपना स्टॉक ट्रांसफर कर सकते हैं।

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साभार : आजतक

 

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