कोरबा (IP News). 31 दिसम्बर, 2020 की रात घड़ी में 12 बजते ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड का 240 मेगावाट क्षमता वाला कोरबा पूर्व संयंत्र रिटायर हो जाएगा। चिमनियां हमेशा के लिए धुंआ उगलना बंद कर देंगी। इसके साथ ही सीजी पाॅवर कंपनी की उत्पादन क्षमता 240 मेगावाट कम हो जाएगी।

यहां बताना होगा प्रदूषण कारणों से प्लांट को बंद किया जा रहा है। 120 मेगावाट क्षमता वाली 5 नम्बर इकाई 24 मार्च, 1976 को उत्पादन में आई थी। 120 मेगावाट क्षमता वाली दूसरी यानी 6 नम्बर यूनिट 5 अप्रेल, 1981 को प्रचालन में आई थी। 120 मेगावाट क्षमता वाली रिटायर होने वाली देश की यह अंतिम इकाइयां भी होंगी।
संयंत्र के बंद होने से कितना फर्क पड़ेगा

240 मेगावाट क्षमता वाले कोरबा पूर्व संयंत्र के बंद होने से छग राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड की कुल क्षमता में कमी जरूर आएगी, लेकिन खास फर्क नहीं पड़ेगा। दोनों इकाइयों से पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो रहा था। इनसे बिजली तैयार करने की लागत भी अधिक थी। संयंत्र के बंद होने पर थर्मल उत्पादन क्षमता घटकर 2840 मेगावाट हो जाएगी। राज्य में औसतन मांग के मुकाबले बिजली की उपलब्धता में कमी की स्थिति फिलहाल नहीं है। कोरबा पूर्व संयंत्र के बंद हो जाने के बाद भी बिजली की कमी जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। दरअसल राज्य के संयंत्रों उत्पादित बिजली के अलावा सेंट्रल कोटे से छत्तीसगढ़ को 1800 मेगावाट तक विद्युत की अपूर्ति होती है। 750 मेगावाट बिजली एनटीपीसी कोरबा व सीपत संयंत्र से ही मिल जाती है। इसके अलावा एनटीपीसी के नए संयंत्र लारा सहित विंध्याचल, सोलापुर, मौदा, खरगोन, तारापुर से भी छत्तीसगढ़ को बिजली मिलती है।

प्रदूषण व राख में आएगी कमी

240 मेगावाट क्षमता वाले संयंत्र के बंद होने से प्रदूषण में भी कमी आएगी। पुरानी तकनीक का होने कारण इकाइयों से अधिक प्रदूषण फैलता रहा है। दोनों यूनिट से सालाना 4 लाख 67 हजार 900 टन राख उत्सर्जित होती रही है। अब इतनी मात्रा में राख निकलना बंद हो जाएगी। संयंत्र से उत्सर्जित राख ढेंगूरनाला के जरिए हसदेव नदी को प्रदूषित करती रही है।

50-50 मेगावाट क्षमता वाली चार इकाइयां हो चुकी हैं रिटायर

कोरबा पूर्व संयंत्र की 50- 50 मेगावाट क्षमता वाली 1 व 2 नम्बर यूनिट 2017 में तथा 3 एवं 4 नम्बर इकाई 14 सितंबर, 2018 में रिटायर हो चुकीं हैं।

देश की अंतिम इकाई, इसके पहले इन राज्यों में हुई बंद

जानकारी के अनुसार देश में केवल कोरबा में ही 120 मेगावाट क्षमता वाली इकाइयां उत्पादन में थीं। इसके पूर्व 2017 में 120 मेगावाट क्षमता वाली 4 इकाइयां रिटायर हुईं थीं। इनमें दो यूनिट गुजरात स्टेट इलेक्ट्रीसिटी कारपोरेशन लिमिटेड के उकाई प्लांट तथा दो इकाई सिक्का संयंत्र की थीं। 2016 में गांधीनगर थर्मल पाॅवर स्टेशन की दो यूनिट रिटायर हुई थी। पश्चिम बंगाल में स्थित संतलडीह थर्मल पाॅवर स्टेशन की 120 मेगावाट क्षमता वाली चार इकाइयों को क्रमशः 2008, 2009, 2011 में रिटायर किया गया था।

“कोरबा पूर्व संयंत्र के बंद होने बिजली आपूर्ति में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आएगा। केन्द्रीय कोटे से पर्याप्त बिजली मिल रही है। एनटीपीसी लारा से ही राज्य को 50 फीसदी यानी 800 मेगावाट मिलनी है। जरूरत पड़ने पर मड़वा संयंत्र से 150 मेगावाट या इससे अधिक बिजली ली जाती है”।
एनके बिजोरा
प्रबंध निदेशक, छग राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी

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