नागपुर, 12 मार्च। राष्ट्र की ऊर्जा तथा खनिज आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए, माइनिंग जियोलॉजिकल एंड मेटलर्जिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (MGMI) नागपुर चैप्टर द्वारा आज होटल तुली इंटरनेशनल, नागपुर में आयोजित सेमिनार में खनन, धातु और भूविज्ञान पेशेवरों ने शिरकत की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक (तकनीकी), कोल इंडिया लिमिटेड डॉ बी. वीरा रेड्डी थे जबकि वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध-निदेशक मनोज कुमार, मॉयल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध-निदेशक अजीत कुमार सक्सेना, ए.पी.सी.सी.एफ. नागपुर के नरेश झुरमुरे, डी.जी.एम.एस, नागपुर के डी.एम.एस. नीरज कुमार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम के प्रारंभ में ए. के. सिंह, निदेशक (तकनीकी / पी एंड पी), WCL तथा MGMI नागपुर के अध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया और मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों का पुष्पगुच्छ, शाल तथा श्रीफल दे कर स्वागत किया।

गणमान्य सभा को संबोधित करते हुए मनोज कुमार ने WCL द्वारा अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। उन्होंने सभा को बताया कि भारत में 95 प्रकार के खनिज हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद में खनन उद्योग का योगदान 2.2% है जिसे भविष्य में 2.5% के स्तर तक बढ़ाया जाना है।

उन्होंने दीर्घकालिक योजना पर जोर दिया और WCL द्वारा कोयला परिवहन के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफ.एम.सी) परियोजनाओं, सस्टैनबल खनन, ओवरबर्डन से रेत निकालना, कोल नीर, पाइप कन्वेयर, खदान बंद करने की प्रक्रिया, कोयले का गैसीकरण, खदानों एवं खनन प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, मिशन सेहत और मिशन तराश तथा WCL द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में बात की। संचार की शक्ति की सराहना करते हुए, उन्होंने WCL द्वारा की गई संचार पहलों, रु-ब-रू, WCL संवाद और WCL दीप ज्योति कार्यक्रमों की जानकारी साझा की। इससे पहले मॉयल के सी.एम.डी ने खनन उद्योग में मॉयल के योगदान के बारे में बताया और मागनीज़ के महत्व पर चर्चा की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक (तकनीकी), कोल इंडिया लिमिटेड डॉ. बी. वीरा रेड्डी तथा MGMI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ए. के. सिंह, निदेशक (तकनीकी / पी एंड पी), WCL तथा अध्यक्ष MGMI नागपुर चैप्टर के नेतृत्व में की गई इस पहल की सराहना की।

सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में खनन के दौरान कार्बन उत्सर्जन लगभग 35% है और हमारा लक्ष्य 2030 तक इसे शून्य करना है। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात की तुलना मे कम करने की दिशा में हमें कदम उठाने होंगे। देश के विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पर बताते हुए उन्होंने कहा कि विज़न 2047 दस्तावेज़ के अनुसार हमें ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए 1.5 बिलियन टन कोयले का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी। खनन के भविष्य पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें भूमिगत खनन का उचित रोड मैप तैयार करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के हाथों एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

संगोष्ठी के दूसरे सत्र के दौरान सतत विकास के लिए चुनौतियों पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। संगोष्ठी में कोल इंडिया लिमिटेड, WCL, MOIL, IBM, CMPDI, सुन्फ्लैग तथा डलॉइट से प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन WCL उमरेड एरिया के एरिया महाप्रबंधक मो. साबिर तथा सचिव MGMI नागपुर चैप्टर ने दिया। यह एक दिवसीय सत्र विभिन्न खनिज उद्योगों में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक उपयोगी मंच साबित हुआ।

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