अब ड्रोन की मदद से खोजा जाएगा बाढ़, भूस्खलन रोकने का तरीका

भारत तरक्की की राह में एक और कदम आगे बढ़ते हुए अब ड्रोन की मदद से बाढ़, भूस्खलन को रोकने के तरीकों की तलाश शुरू करने जा रहा है। इसे लेकर आईआईटी गुवाहाटी ने असम में प्राकृतिक आपदाओं के समाधान के बारे में सोचना भी शुरू कर दिया है।

भारत तरक्की की राह में एक और कदम आगे बढ़ते हुए अब ड्रोन की मदद से बाढ़, भूस्खलन को रोकने के तरीकों की तलाश शुरू करने जा रहा है। इसे लेकर आईआईटी गुवाहाटी ने असम में प्राकृतिक आपदाओं के समाधान के बारे में सोचना भी शुरू कर दिया है।

विशेष ड्रोन मिशन शुरू

इस कड़ी में आईआईटी गुवाहाटी और एएसएसटीसी ने संयुक्त रूप से एक विशेष ड्रोन मिशन शुरू किया है। प्रौद्योगिकी प्रतिष्ठान ने विभिन्न सर्वेक्षणों में मदद के लिए ड्रोन के उपयोग को विशेष महत्व दिया है।

देश में इस तरह की ट्रेनिंग शायद ही कभी दी गयी हो

हाल ही में आईआईटी गुवाहाटी ने असम के सर्वे और डिस्पोजल ट्रेनिंग सेंटर के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया है। प्रशिक्षण में डेटा संग्रह और आधुनिक भूमि प्रबंधन के साथ-साथ कई अन्य मुद्दे शामिल हैं। ड्रोन तकनीक पर देश में इस तरह की ट्रेनिंग शायद ही कभी दी गयी हो।

सभी संबंधित स्तर के अधिकारियों को मिलेगा ड्रोन का ऐसा प्रशिक्षण

आईआईटी गुवाहाटी के एक विशेष सूत्र ने बताया कि ड्रोन का ऐसा प्रशिक्षण सभी संबंधित स्तर के अधिकारियों को दिया जाएगा। दोनों संस्थाओं के बीच गुरुवार को ड्रोन कार्यक्रम को लेकर एमओयू पर भी हस्ताक्षर हुए।

प्रौद्योगिकी और शिक्षा का यह नया युग

प्रौद्योगिकी और शिक्षा का यह नया युग इस समझौते को एक मजबूत आयाम देगा।” आईआईटी के निदेशक प्रो. टीजी सीरामे ने कहा कि इस कार्यक्रम से पूरे क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। बाढ़, भूस्खलन, तट कटाव, आग आदि के नियंत्रण में इस कदम ने काफी उम्मीद जगाई है।

ड्रोन तकनीक को अपनाना समय की मांग

ड्रोन तकनीक को अपनाना समय की मांग है। याद हो इससे पहले देश के विभिन्न राज्यों में टिड्डियों के हमलों को रोकने के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा चुका है। इस तरह से ड्रोन के अलग-अलग इस्तेमाल हमें ड्रोन क्रांति युग की ओर ले जा रहे हैं। ‘ड्रोन फॉर पब्लिक गुड- मास अवेयरनेस प्रोग्राम’ के जरिए भी सरकार और विभिन्न संस्थाएं मिलकर ड्रोन के इस्तेमाल को बेहतरी के लिए इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं।

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