नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने बैंकों, NBFC (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहित) और दूसरे फाइनेंशियल संस्थानों को EMI पर तीन महीने के मोरोटोरियम (Moratorium) की अनुमति दे दी है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई इन तीन महीनों तक लोन की EMI नहीं भर पाता है तो उसकी क्रेडिट हिस्ट्री पर इसका नेगेटिव असर नहीं होगा। कोरोनावायरस महामारी की वजह से फाइनेंशियल मार्केट में किसी तरह का कोई डिसरप्शन ना हो, इसलिए सरकार ने यह फैसला लिया है। RBI की यह सुविधा टर्म लोन के लिए है जैसे होम लोन।

इसके तहत अगर कोई कारोबारी वर्किंग कैपिटल पर लोन की EMI नहीं चुका पाता है तो उसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।

RBI ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती करके उसे 4.40 फीसदी कर दिया है। कैश रिजर्व रेशियो भी 1 फीसदी कम करके 3 फीसदी कर दिया है। फाइनेंशियल सिस्टम में लिक्विडिटी इंप्रूव करने के लिए RBI ने यह कदम उठाए हैं। रेपो रेट में कटौती का असर आपकी EMI पर पडे़गी।

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू 3 अप्रैल को होने वाला था। लेकिन मौजूदा हालत को देखते हुए इसे जल्दी कर दिया गया। RBI गवर्नर ने कह, मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने 24, 25 और 26 मार्च को बैठक कर लिया ताकि रेट कट का ऐलान जल्दी हो सके।

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