चालू वर्ष 2021 में कोविड वैक्सीन पर करीब 75,000 करोड़ रुपये (केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र) खर्च होने की उम्मीद है, जिसमें कोविड-19 से मुकाबले के लिए अप्रैल तक 3200 करोड़ रुपये का खर्च भी शामिल है। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और भारत बायोटेक मुख्य लाभार्थी होंगी, क्योंकि उन्हें इसकी बड़ी वैल्यू भागीदारी हासिल होने की संभावना है।

इन्वेस्टेक की एक विश्लेषक रिपोर्ट के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक का कुल वैल्यू बाजार भागीदारी में 67 प्रतिशत (सीरम इंस्टीट्यूट की 43 प्रतिशत और भारत बायोटेक की 24 प्रतिशत) और कुल बिक्री के संदर्भ में 73 प्रतिशत नियंत्रण होगा। वहीं रूसी कोविड वैक्सीन स्पुतनिक वी 14 प्रतिशत वैल्यू भागीदारी के साथ तीसरी कंपनी होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 प्रतिशत के अनुमानित शुद्घ मार्जिन के आधार पर 15,000 करोड़ रुपये के मुनाफे का बड़ा हिस्सा सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक के साथ साथ स्पूतनिक वी (भारत में डॉ. रेड्डड्ढीज लैबोरेटरीज द्वारा बिक्री) और कैडिला हेल्थकेयर (जिसका टीका जून-जुलाई में पेश किए जाने की संभावना है और कुल वैल्यू में इसका 2 प्रतिशत भागीदारी रहने का अनुमान है) को हासिल होगा।

इन्वेस्टेक के विश्लेषणों के अनुमान जताया गया है कि इस साल अक्टूबर तक, भारत में 1.2 अरब खुराक की आपूर्ति की संभावना है, जिससे 19 साल से ऊपर की 75 प्रतिशत आबादी को टीका लग सकेगा। तब तक टीके की आपूर्ति प्रति महीने 25 करोड़ के पार पहुंच जाएगी, और एसआईआई, भारत बायोटेक, स्पुतनिक वी (स्थानीय) और जॉनसन ऐंड जॉनसन (जेऐंडजे) का इस मासिक क्षमता में 75-85 प्रतिशत का योगदान होगा।

मौजूदा समय में, एसआईआई केंद्र सरकार को 150 रुपये और राज्य सरकारों को 300 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों को 600 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से कोविशील्ड की बिक्री की जा रही है। निजी अस्पतालों को बिक्री संस्थागत बिक्री का हिस्सा है, और जब टीका रिटेल स्तर पर उपलब्ध होने की संभावना बढ़ जाएगी तो कीमतों में भी बदलाव आएगा और उसके फलस्वरूप मार्जिन भी बेहतर रहेगा।

दूसरी तरफ, भारत बायोटेक अपनी कोवैक्सीन की बिक्री केंद्र को 150 रुपये, राज्य सरकारों को 400 रुपये और निजी अस्पतालों को 1200 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से करती है। हालांकि भारत बायोटेक का दावा है कि अंतरराष्टड्ढ्रीय बाजार में उसे प्रति खुराक करीब 15-20 डॉलर की राशि मिलती है।

वैक्सीन उद्योग के सूत्रों का मानना है कि 150 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से इन कंपनियों को किसी तरह का लाभ हासिल होने की संभावना नहीं है। इन्वेस्टेक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन कंपनियों के लिए निवेश की लागत निकालने की अवधि भी संक्षित रहेगी। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि महामारी के बिगड़ते हालात और अच्छे मुनाफे की वजह से सरकार कीमतों में बदलाव कर सकती है।

हालांकि इन्वेस्टेक का मानना है कि जहां डॉ. रेड्डीज (जो स्पुतनिक वी का वितरण करेगी) की वैल्यू भागीदारी 10 से 15 प्रतिशत होगी, वहीं अपने स्वयं के मुनाफे में वैक्सीन से उसकी सीमित भागीदारी होगी, क्योंकि वह सिर्फ वितरक होगी। वहीं स्पुतनिक वी का निर्माण पैनेशिया, हेटरो समेत विभिन्न कंपनियों द्वारा किया जाएगा।

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