हसदेव अरण्य में विरोध के बीच केते एक्सटेंशन कोल माइन व वॉशरी के लिए जनसुनवाई की आई तारीख, 7 लाख पेड़ों पर खतरा!

हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन को लेकर हो रहे भारी विरोध के बीच केते एक्सटेंशन ओपनकास्ट कोल माइन एवं इंटीग्रेटेड वॉशरी (KENTE EXTENSION OPENCAST COAL MINE & INTEGRATED WASHERY PROJECT) के लिए जनसुनवाई निश्चित की गई है।

रायपुर, 25 मई। हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन को लेकर हो रहे भारी विरोध के बीच केते एक्सटेंशन ओपनकास्ट कोल माइन एवं इंटीग्रेटेड वॉशरी (KENTE EXTENSION OPENCAST COAL MINE & INTEGRATED WASHERY PROJECT) के लिए जनसुनवाई निश्चित की गई है।

केते एक्सटेंशन ओपनकास्ट कोल माइन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) को आबंटित है। छत्तीसगढ़ राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जनसुनवाई के लिए 13 जून, 2022 की तारीख निश्चित की है। यह जनसुनवाई ग्राम परसा में की जाएगी।

कंपनी द्वारा प्रस्तुत ईआईए रिपोर्ट के अनुसार केते एक्सटेंशन ओपनकास्ट कोल माइन के खनन का क्षेत्रफल 1760 हेक्टयर है। कोल वॉशरी की उत्पादन क्षमता 9 एमटीपीए होगी। यहां कोयले का भूगर्भित भंडार 377.874 मिलियन टन है। परियोजना की अनुमानित लागत 2344 करोड़ रुपए बताई गई है। 1760 हेक्टयर वाले प्रस्तावित खनन क्षेत्र का 1742.600 हेक्टेयर वन क्षेत्र है।

बताया गया है कि केते एक्सटेंशन ओपनकास्ट कोल माइन परियोजना के लिए सात लाख वृक्षों की कटाई करनी होगी। केते एक्सटेंशन चरनाई नदी के कैचमेंट में है। खनन से कैचमेंट एरिया प्रभावित हो सकता है।

यहां बताना होगा कि जनवरी 2021 में केते एक्सटेंशन खदान की नीलामी को लेकर राज्य के खनिज सचिव ने कोयला मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर यहां की जैव विविधता और लेमरू हाथी अभयारण्य की जानकारी देते हुए आबंटन पर रोक लगाने की मांग की थी।

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