मोदी सरकार ने संसद में पिछले महीने लेबर कोड्स में तीन संशोधन किए थे, अब रोजगार मंत्रालय ने इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड के लिए ड्राफ्ट रूल्स का पहला सेट जारी कर दिया है। इसमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं। कंपनियों को ज्यादा अधिकार दिया गया है। मसौदे में संशोधन के तहत कर्मचारियों के लिए हड़ताल करने से जुड़ी परिस्थितियों में बदलाव कर दिया गया है। इतना ही नहीं अब जिस कंपनी में 300 की संख्या तक लोग काम करते हैं, उन्हें कंपनी बिना सरकार के इजाजत के कभी भी निकाल सकती है। इसके लिए 15 दिन का नोटिस भी काफी माना जाएगा। पहले 100 कर्मचारियों वाले कंपनियों को ही यह अधिकार था।

अब सभी औद्योगिक इकाइयों को ई-रजिस्टर मेंटेन करना होगा। अगर कंपनी छंटनी करती है तो उसे सिर्फ 15 दिन पहले नोटिस देना होगा। जबकि हटाए जाने के लिए 60 दिन और कंपनी बंद करने से 90 दिन पहले नोटिस देना होगा।

नए नियम को लेकर अभी कई तरह की आशंकाएं हैं। जनसत्ता की खबर के मुताबिक नियमों में मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर को छोड़ दिया गया है और ट्रेड यूनियनों के लिए रूल्स का निर्माण राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। इस कदम पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह देश भर में नियम बनाने में विचलन पैदा करेगा।

अभी तक 100 से कम कर्मचारी वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान या संस्थान ही पूर्व सरकारी मंजूरी के बिना कर्मचारियों को रख और हटा सकते थे। इस साल की शुरुआत में संसदीय समिति ने 300 से कम स्टाफ वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने या कंपनी बंद करने का अधिकार देने की बात कही थी।

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