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कोरबा (IP News). इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तर प्रदेश तथा ओडिशा में बिजली के निजीकरण के विरोध में 18 अगस्त को बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर्स देशभर में विरोध प्रदर्शन एवं सभाएं करेंगे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि  नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड  इंजीनियर्स (एन सी सी ओ) के आहवान पर देश भर में पाॅवर सेक्टर में काम करने वाले तमाम 15 लाख बिजली कर्मचारी व इंजीनियर्स 18 अगस्त के विरोध प्रदर्शन में सम्मिलित होंगे।

उन्होंने बताया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे पर केंद्रीय विद्युत मंत्री द्वारा 3 जुलाई को राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में 11 प्रांतों और 2 केंद्र शासित प्रांतो  ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के निजीकरण के मसौदे का जमकर विरोध किया गया था। परिणाम स्वरूप 3 जुलाई की मीटिंग में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने यह घोषणा की कि राज्य सरकारों के विरोध को देखते हुए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के मसौदे में संशोधन किया जाएगा।  खेद  का विषय है राज्य के ऊर्जा  मंत्रियों की बैठक के डेढ़ माह बाद भी इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020  के संशोधित प्रारूप को विद्युत मंत्रालय ने अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालकर निजीकरण का एजेंडा आगे बढ़ा रही है। बिजली कर्मियों में भारी  रोष व्याप्त है।

उन्होंने बताया की केंद्र शासित प्रदेशों विशेषतः  चंडीगढ़, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में निजीकरण की  प्रक्रिया तेजी से चलाई जा रही है। साथ ही उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजी करण के प्रस्ताव पर कार्य प्रारंभ हो गया है। दूसरी ओर ओडिशा में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई अंडरटेकिंग को टाटा पावर को हैंडओवर कर दिया गया है। तीन अन्य विद्युत वितरण कंपनियों नेस्को, वेस्को और साउथको के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्र सरकार के दबाव में चल रहे निजीकरण के क्रियाकलापों से बिजली कर्मियों और अभियंताओं में भारी गुस्सा व्याप्त है।

उन्होंने बताया कि निजीकरण के यह प्रयोग ओडिशा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर आदि कई स्थानों पर पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। इसके बावजूद इन्हीं विफल प्रयोगों को वित्तीय मदद देने के नाम पर केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में थोप रही है जो एक प्रकार से ब्लैकमेल है।

नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने यह निर्णय लिया है कि निजीकरण के इस मसौदे को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा और 18 अगस्त के विरोध प्रदर्शन के बाद भी यदि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजीकरण के प्रस्ताव व् कार्यवाही निरस्त नहीं की तो 15 लाख बिजली कर्मी राष्ट्रव्यापी आंदोलन प्रारम्भ करने हेतु बाध्य होंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की होगी।

इधर, छत्तीसगढ राज्य विद्युत कर्मचारी जनता यूनियन महासचिव अजय बाबर, प्रांतीय उपाध्यक्ष अनिल द्विवेदी ने छत्तीसगढ़ पावर कंपनीज के समस्त कर्मचारियों एवं अधिकारियों से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और निजीकरण के विरोध में 18 अगस्त को काली पट्टी लगाने की अपील की है।

 

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