कोरबा (आईपी न्यूज)। केंद्र सरकार ने श्रम सुधार के नाम पर विवादास्पद औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 को लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया है। इस औद्योगिक संबंध विधेयक मंे ट्रेड यूनियन एक्ट 1926, इंडस्ट्रियल एंप्लॉयमेंट( स्टैंडिंग ऑर्डर) एक्ट 1946 और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। केंद्रीय एटक ने औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। एटक का मानना है कि यह कानून औद्योगिक क्षेत्र को जंग का मैदान बना देगा, क्योंकि इसके कई प्रावधान श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं। इसी तरह व्यापक छूट प्रणाली का प्रस्ताव जंगलराज लेकर आएगा क्योंकि लोग अपनी ताकत से विवाद निपटाने पर मजबूर होंगे। इस मसले को लेकर शनिवार को एटक कार्यालय कोरबा में कार्यकर्ताओं की आवश्यक बैठक रखी गई। इस बैठक को संबोधित करते हुए दीपेश मिश्रा ने कहा कि मौजूदा सरकार कुछ चुनिंदा कारपोरेट घरानों को मदद पहुंचाने के लिए श्रम सुधार के नाम पर तमाम मजदूर पक्षी श्रम कानूनों को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 में हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करने के साथ इस पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव है। हड़ताल का नेतृत्व करने वाले ट्रेड यूनियन नेताओं पर भारी जुर्माने के साथ जेल में डालने का भी प्रावधान किया है। लोकसभा में पेश किए गये औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक 2019 का पूरी ताकत के साथ मुखालफत की जाएगी बैठक में उमेश शर्मा, कमर बख्श, एनके दास, धरमा राव, राजू श्रीवास्तव, मृत्युंजय कुमार, सुभाष सिंह, राजेश पांडे, रेवत मिश्रा, प्रमोद सिंह, सुबोध सागर, विश्वजीत मुखर्जी, उज्जवल बनर्जी, राजकुमार साहू, नंद किशोर साव, जॉय मुखर्जी, रमाकांत शर्मा, सुनील राठौर, चंद्र भूषण सिंह, रविंद्र सिंह आदि उपस्थित थे।

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