कोरबा (IP News). कोरोना संकट के कारण हुए लाॅक डाउन से कामकाज की तलाश में कोरबा जिले से देश के विभिन्न हिस्सों में गये लगभग 15 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक वापस लौट आये हैं। जिले में लौटे प्रवासी श्रमिकों से कोरोना संक्रमण का जिले में फैलाव रोकने के लिए सभी श्रमिकों को 14 दिनों के लिए 260 क्वारेंटाइन सेंटर्स में अवलोकन में रखा गया हैं। इन क्वारेंटाइन सेंटरों से अब तक दस हजार 686 प्रवासी श्रमिक क्वारेंटाइन अवधि पूरी होने के बाद अपने घर पहुंच गये है। जिले के क्वारेंटाइन सेंटरों में अभी चार हजार 829 लोग रह रहे हैं।

अलग-अलग राज्यों से वापस आए इन सभी प्रवासियों को कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए उनके परिजनों और स्वयं के साथ-साथ अन्य लोगों में कोरोना संक्रमण को रोकने और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहने के निर्देश दिए गए हैं। जिले में 211 क्वारेंटाइन सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये गये हैं। इन सभी क्वारेंटाइन सेंटर्स का संचालन एवं नियंत्रण संबंधित जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इनके संचालन में ग्राम पंचायतें, जनपद पंचायतें और जिला पंचायतें सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। कोविड प्रोटोकाॅल और समय-समय पर शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार इन क्वारेंटाइन सेंटरों में आकर रूके प्रवासी श्रमिकों में से अब तक आठ हजार 627 श्रमिकों की कोरोना जांच कराई जा चुकी है, जिनमें से आठ हजार 176 श्रमिकों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। दो सोै ब्यासी प्रवासियों को जांच में कोरोना संक्रमित पाया गया है। जिन्हे ईलाज के लिए कोरबा, रायपुर, बिलासपुर के कोविड अस्पतालों और एम्स रायपुर भेजा गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी मजदूरों को आवास और भोजन सहित सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। स्थायी-अस्थायी शौचालयों, पुरूषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नानगृहों, स्वच्छ पेयजल, लाइट एवं पंखों की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर कई सेंटर्स में प्रवासी श्रमिकों के लिए मनोरंजन के साधनों की भी व्यवस्था की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। अस्वस्थ लोगों को ईलाज और दवाईयां मुहैया कराई जा रही है। संक्रमण की संभावना और लक्षण वाले व्यक्तियों के तत्काल सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। वृद्ध, गर्भवती महिलाओं और डायबिटीज, ब्लड पे्रशर जैसी बिमारियों से पहले से ही ग्रसित व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। कोरबा जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक 77 क्वारेंटाइन सेंटर पाली विकासखंड में बनाये गये हैं। करतला विकासखंड में 40, कटघोरा विकासखंड में 36, कोरबा विकासखंड में 34 और पोंड़ीउपरोड़ा विकासखंड में 24 क्वारेंटाइन सेंटर हैं। इन सभी क्वारेंटाइन सेंटरों में अब तक लगभग 12 हजार प्रवासी श्रमिकों को ठहराया जा चुका है। इनमें से सात हजार 790 श्रमिक क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर जा चुके हैं। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के क्वारेंटाइन सेंटरों में चार हजार 161 श्रमिक रूके हैं।

कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल गांवों में क्वारेंटाइन सेंटर्स के सुचारू संचालन के लिए लगातार व्यवस्था की समीक्षा कर रही हैं। क्वारेंटाइन सेंटरों के लगातार निरीक्षण के लिए जोनल अधिकारियों सहित सभी एसडीएम, तहसीलदार और अन्य जिला स्तरीय अधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। कलेक्टर के निर्देष पर सेंटर्स की कमियों-खामियों को तत्परता से दूर किया गया है। उन्होंने क्वारेंटाइन सेंटर्स में रह रहे लोगों की सेहत की लगातार निगरानी और संक्रमण के लक्षण वाले लोगों के तत्काल सैंपल जांच के निर्देष स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के 211 क्वारेंटाइन सेंटरों में रूके लगभग 12 हजार प्रवासी श्रमिकों में से कोविड प्रोटोकाॅल और समय-समय पर स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार छह हजार 247 का कोरोना टेस्ट कराया गया है, जिसमें से छह हजार की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 189 प्रवासी मजदूर ग्रामीण क्षेत्रों के क्वारेंटाइन सेंटरों में कोरोना संक्रमित मिले हैं। जिनका ईलाज कोविड अस्पतालों में कराया गया है और इनमें से भी कई स्वस्थ्य होकर वापस लौट आये हैं। क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर अपने घर वापस लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के लिए जिला स्तर पर मनरेगा के तहत जष्ब-कार्ड बनाकर रोजगार दिया जा रहा है। अन्य योजनाओं के माध्यम से भी उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं। मजदूरों की स्किल-मैपिंग कर जिले के सार्वजनिक उपक्रमों, निजी औद्योगिक संस्थानों, भवन निर्माण और अन्य क्षेत्रों में उन्हें काम दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

कोरबा के शहरी क्षेत्रों में 49 क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गये हैं। शहरी क्षेत्रों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए दस, छात्रों, व्यापारियों, पर्यअकों और अन्य लोगों के लौटने पर क्वारेंटाइन के लिए 21 सेंटर स्ािापित है। जिले में स्थित सार्वजनिक उपक्रमों ने भी अपने-अपने कामगारों और उनके परिजनों के बाहर से कोरबा लौटने पर क्वारेंटाइन के लिए 18 सेंटर बनाये हैं। इन  क्वारेंटाइन सेंटरों में अभी तक साढ़े तीन हजार से अधिक लोग बाहर से कोरबा लौटकर ठहर चुके हैं। इनमें से दो हजार 900 लोग अपनी 14 दिन की क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर वापस अपने घर जा चुके हैं। शहरी क्षेत्रों के क्वारेंटाइन सेंटरों में अभी साढ़े छह सौ से अधिक लोगों को क्वारेटाइन में रखा गया है। शहरी क्षेत्रों के  क्वारेंटाइन सेंटरों में रूके प्रवासी श्रमिकों में से कोविड प्रोटोकाॅल और समय-समय पर स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार दो हजार 374 का कोरोना टेस्ट कराया गया है, जिसमें से दो हजार 216 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 87 प्रवासी शहरी क्षेत्रों के क्वारेंटाइन सेंटरों में कोरोना संक्रमित मिले हैं।

क्वारेंटाइन सेंटर्स में खाने-पीने के लिए प्र्याप्त संख्या में दोना-पत्तल, डिस्पोजेबल थाली- गिलासों के इंतजाम किए गए हैं। बार-बार हाथ धोने के लिए साबुन और पानी के साथ ही हैंड-सेनिटाइजर भी उपलब्ध कराया जा रहा है। मुंह ढंकने के लिए मास्क एवं गमछा भी दिया गया है। कई क्वारेंटाइन सेंटर्स में भोजन बनाने के सभी इंतजामों के साथ सोने के लिए गद्दा, दरी और चादर उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सेंटर्स में साफ-सफाई की भी अच्छी व्यवस्था की गई है। इसके लिए सभी सेंटरों को प्र्याप्त मात्रा में डस्ट-बिन, झाड़ू, फिनाइल एवं बाल्टियां दी गई हैं। लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई क्वारेंटाइन सेंटर्स में योग और प्राणायाम कराए जा रहे हैं। महिलाओं को माहवारी स्वच्छता के लिए सेनेटरी पैड भी वितरित किए जा रहे हैं। कचरे और बायो-मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निपटान के लिए सभी सेंटरों में समुचित व्यवस्था की गई है। क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी आपदा राहत निधि तथा ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराए गए चैदहवें वित्त आयोग व मूलभूत की राषि से की जा रही है।

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