लोकसभा ने खदान और खनिज विकास तथा विनियमन संशोधन विधेयक, 2021 पारित कर दिया है। यह विधेयक खनिज विकास और विनियमन अधिनियम 1957 को संशोधित करने तथा कैप्टिव और मर्चेंट खदानों के बीच अंतर दूर करने के लिए लाया गया है।

विधेयक में केंद्र सरकार को जिला खनिज प्रतिष्ठान के पास अनुरक्षित कोष के संघटन और उपयोग के बारे में निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। अब परमाणु खदानों को छोड़ कर अन्य कैप्टिव खदानें अन्य जरूरतें पूरी करने के बाद खुले बाजार में वार्षिक खनिज उत्पादन के 50 प्रतिशत तक बेचा जा सकेगा।

इस अवसर पर खदान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि देश में खनन क्षेत्र में सुधार के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश में अनेक खनिजों का विशाल भंडार है, लेकिन अब तक केवल 45 प्रतिशत का ही उपयोग किया गया है।

इसलिए देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इस विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए श्री जोशी ने कहा कि इससे खनिजों का उत्पादन बढ़ेगा, ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा, राजस्व बढ़ेगा और उत्खनन तथा खनन गतिविधियों में निजी भागीदारी सुनिश्चित होगी।

बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के विन्सेंट एस. पाला ने कहा है कि सरकार वित्तीय कठिनाई का सामना कर रही है इसलिए यह विधेयक लाई है। भाजपा के सुनील कुमार सिंह ने विधेयक की सराहना करते हुए कहा कि इससे खनन क्षेत्र में सुधार होंगे।

प्रोफेसर सौगत राय ने कहा कि यह विधेयक खदानों को बड़ी कम्पनियों के लिए खोलने का प्रयास है। बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने विधेयक का स्वागत किया। टीडीपी, बसपा, टीआरएस, एनसीपी और अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

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