नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमला मामले की जांच के लिये गठित न्यायिक आयोग द्वारा कुछ अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ से इंकार करने के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर 28 सितंबर को सुनवाई की जायेगी. इस हमले मे कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेताओं सहित 29 व्यक्ति मारे गये थे.

राज्य सरकार ने अपनी अपील में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है. राज्य सरकार चाहती थी कि इस मामले में अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ करने का विशेष न्यायिक आयोग को निर्देश दिया जाये.

बस्तर जिले के दर्भा इलाके में झीरम घाटी मे 25 मार्च, 2013 को हुये नक्सली हमले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, प्रतिपक्ष के पूर्व नेता महेन्द्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ला सहित 29 व्यक्ति मारे गये थे.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आयोग ने छह महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज करने का अनुरोध अस्वीकार करते हुये जांच खत्म कर दी थी.

उन्होंने कहा कि आयोग ने कांकड़ के जंगल कल्याण प्रशिक्षण स्कूल के निदेशक बी के पंवार का बतौर विशेषज्ञ बयान दर्ज करने से इंकार कर दिया और उनसे पूछताछ करने का राज्य सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया. इसके साथ ही उन्होंने आयोग की कार्यवाही बंद कर दी.

सिंघवी ने कहा, ‘छह व्यक्तियों की सूची में से किसी से भी आयोग ने पूछताछ नहीं की है.’ उन्होंने कहा कि आयोग को अतिरिक्त कार्य शर्ते दी गयीं थीं जिसे आयोग ने सितंबर, 2019 में स्वीकार किया था.

उन्होंने दलील दी कि इन अतिरिक्त कार्यशर्तो का क्या हुआ जबकि पुराने गवाहों से पूछताछ जारी रही और आयोग ने अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ नहीं की, इस पर पीठ ने सिंघवी से कहा कि तथ्यों के बारे में आपकी सही नहीं थी. पीठ ने कहा कि आयोग ने सितंबर में काम करना शुरू किया जो सही नहीं है. छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता एस सी वर्मा भी इस मामले में पेश हुये.

राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय की बिलासपुर की पीठ ने 29 जनवरी को अतिरिक्त गवाहों को बुलाने के बारे में एकल न्यायाधीश के 12 दिसंबर, 2019 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था.

अपील के अनुसार इससे पहले आयोग ने 11 अक्टूबर, 2019 को और गवाहों से पूछताछ करने का राज्य सरकार का अनुरोध अस्वीकार करते हुये जांच की कार्यवाही बंद कर दी थी.

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