बैठक के बाद वित्त सचिव राजीव कुमार ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि बैंकों, बीमा कंपनियों, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों सहित विभिन्न वित्तीय क्षेत्रों से कई सुझाव प्राप्त हुये हैं।

उन्होंने कहा, ”कराधान को लेकर सुझाव प्राप्त हुये हैं। हमने ऐसे मुद्दों पर गौर किया। जो भी गुंजाइश होगी उसके मुताबिक ही कराधान से जुड़ी चिंताओं का निराकरण किया जायेगा। मुद्रास्फीति अभी भी नरम है। रिण वृद्धि भी हो रही है, इन सभी कारकों को ध्यान में रखा जायेगा।

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय बाजारों को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजारों के प्रतिनिधियों ने कई सुझाव सौंपे हैं। इनमें बैंकों से रिण उठाव बढ़ाने, संचालन परिचालन, जोखिम पूंजी से जुड़े मुद्दे, एनबीएफसी के कामकाज में सुधार लाने और दबाव को कम करने को लेकर ये सुझाव दिये गये।

इसके अलावा इन प्रतिनिधियों ने जीएसटी कम कर के पट्टा लिजिंग (पट्टे पर सम्पत्ति के लेन देन) को प्रोत्साहित करने , टर्म बीमा को लोकप्रिय बनाने के लिये इस पर जीएसटी दरें कम करने और केवाईसी नियमों को सुसंगत बनाकर डिजिटल रूप से कर्ज प्राप्त करने की सुविधा आसान करने जैसे सुझाव भी दिये गये हैं। जीएसटी घटाने के बारे में सुझाव जीएसटी परिषद की 18 दिसंबर को होने वाली बैठक से कुछ दिन पहले ही आया है। निजी क्षेत्र के बैंकों से स्टैण्ड अप इंडिया के लिये समर्थन बढ़ाने को लेकर भी सुझाव सामने आये हैं।

स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि कराधान और रिण उठाव में वृद्धि को लेकर कुछ सुझाव सामने आये हैं।  उधर, पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण के सदस्य (वित्त) सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने कहा, ”हमने नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कर राहत को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही अटल पेंशन योजना के लिये आयु सीमा को बढ़ाकर 50 वर्ष करने की भी सलाह दी है।

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