कोरबा (IP News). कमर्शियल माइनिंग के फैसले को लेकर देश के श्रमिक संगठनों और कोयला कामगारों में खासी नाराजगी है। भाजपा की मातृ संस्था आरएएस का ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ तो केंद्र से बेहद ख़फ़ा है। जिस दिन वित्त मंत्री सीतारमण ने कमर्शियल माइनिंग के निर्णय की जानकारी दी, बीएमएस ने उस दिवस को देश के लिए काला दिन करार दिया था। पब्लिक सेक्टर के निजीकरण को लेकर बीएमएस ने आंदोलन की राह पकड़ रखी है। industrialpunch.com से बीएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं कोल व नॉन कोल सेक्टर के प्रभारी डॉ बीके राय ने कमर्शियल माइनिंग के मुद्दे पर चर्चा की।

डॉ राय ने मोदी सरकार के इस निर्णय पर गहरी और खुलकर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ब्यूरोक्रेसी की जाल में फंसे हुए हैं। मोदी भी वही काम कर रहे हैं, जो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। ब्यूरोक्रेसी ने गुमराह कर मनमोहन सिंह के हाथों निजी कंपनियों को कॉल ब्लॉक वितरण करवाकर एक सीधे और विद्वान व्यक्ति को फंसाने का काम किया था।

डॉ राय ने कहा कि इस बात का दुःख होता है कि राजनीतिक नेता एक दूसरे से सबक नहीं लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यूपीए के समय आबंटित किए गए 242 कोल ब्लॉक को रद्द कर दिया था। इनमें वो 33 खदानें भी थी जो चालू हो चुकी थीं। 2015 में जब इन खदानों की नीलामी शुरू की गई तब हमने 5 दिनों की हड़ताल का नोटिस दिया था। उस वक़्त सरकार ने कहा था कि पांचो केंद्रीय यूनियन से चर्चा किए बगैर कमर्शियल माइनिंग पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। 2018 में जब केंद्रीय मंत्री गोयल ने कमर्शियल माइनिंग की बात की तब इंटक को छोड़ बाकी यूनियन ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था।

समिति को ठंडे बस्ते में डाला

सरकार ने डिप्टी सेक्रेटरी के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। कहा गया था कि समिति की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही कमर्शियल माइनिंग पर कोई निर्णय लिया जाएगा। एक मीटिंग के बाद इस समिति की और बैठक नहीं हो सकी। इधर, कोरोना संकट के बीच वित्त मंत्री मीडिया के समक्ष आती हैं और कमर्शियल माइनिंग का ऐलान कर देती हैं।

मोदी सरकार ने तो सीधे क़त्ल कर दिया

डॉ बीके राय ने कहा कि फांसी पर चढ़ाने से पहले अंतिम इच्छा पूछी जाती है। यहां तो मोदी सरकार ने सीधे क़त्ल कर दिया। इस समय देश का पूरा पब्लिक सेक्टर खतरे में है। उन्होंने कहा कि सभी ट्रेड यूनियन को एकजुटता और पूरी ताकत के साथ कमर्शियल माइनिंग के फैसले के विरूद्ध लड़ना होगा। लड़ाई जीत पाएंगे या नहीं, यह तो पता नहीं, लेकिन लड़ेंगे।

  • Website Designing