कोरबा (industrialpunch.com)। भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार के लेबर कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2019 के मसौदे को ख़ारिज करते हुए इसे श्रमिकों के लिए निराशाजनक करार दिया है। बीएमएस ने कहा है कि सरकार का ड्राफ्ट मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों का ‘वीक कट-एंड-पेस्ट’ है। बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने कहा कि यह ड्राफ्ट नियमित कर्मी एवं ठेका श्रमिकों का वर्ग विभाजन बनाता है। उन्होंने कहा कि कोड के चौथे मसौदे की तुलना में पहले मसौदे में कहीं लाभकारी प्रावधान थे। ड्राफ्ट में सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा का अधिकार प्रदान करना, अंतिम कार्यकर्ता लगभग 14 सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुंच, एक केंद्रीय शीर्ष परिषद का गठन, जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री के अलावा कोई नहीं करता, सुरक्षा के लिए हर स्थानीय निकाय के स्तर पर लगे हुए लोगों को नामांकन और वितरण में मदद करने के लिए, एक अलग सामाजिक सुरक्षा कैडर बनाने के लिए, गणना के उद्देश्य के लिए उस वेतन का आश्वासन देकर न्यूनतम वेतन से कम नहीं होगा, सेवानिवृत्ति के बाद भी लाभ जारी रहेगा और ग्रेच्युटी के लिए एक अलग फंड प्रदान किया जाना जैसे बिंदु गायब हैं। बीएमएस के अनुसार संगठित क्षेत्र की इकाइयों में ठेका श्रमिक होने के कारण 80 प्रतिशत श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए ग्रेच्युटी की पात्रता पांच साल से घटाकर एक साल की जानी चाहिए। और भी कई बिंदुओं को लेकर असहमति जताई गई है। यहां बताना होगा कि बीएमएस आरएसएस का ही लेबर विंग है।

  • Website Designing