नई दिल्ली। नीति आयोग (Niti Aayog) ने भारतीय रेल (Indian Railways) के नेटवर्क पर यात्री रेलगाड़ियों को चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों (Private Companies) की भागीदारी के नियमों का मसौदा तैयार किया है. मसौदा में कहा गया है कि किसी रूट पर प्राइवेट ट्रेन के चलने के 15 मिनट बाद ही दूसरी ट्रेन छोड़ी जाएगी. प्रस्‍ताव है कि ऐसी ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार प्रति घंटा 160 किलो मीटर से अधिक नहीं रखी जा सकती.

100 रूटों पर 150 ट्रेनों को चलाने की योजना
आयोग की वेबसाइट पर कई मसौदे हैं ताकि इस विषय में सार्वजनिक सुझाव आ सकें. वेबसाइट पर प्राइवेट Train ऑपरेटरों को 100 रूटों पर 150 ट्रेनों को चलाने की छूट की योजना है. आयोग का अनुमान है कि इससे 22,500 करोड़ रुपये का निजी निवेश आ सकता है. मसौदा के मुताबिक Indian Railways प्राइवेट ऑपरेटरों की ट्रेनों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा.

रूट पर दूसरी ट्रेन नहीं
प्राइवेट ट्रेन के खुलने के तयशुदा समय के 15 मिनट के भीतर उस रूट पर कोई ट्रेन नहीं चलेगी. हर Train में कम से कम 16 डिब्बे होंगे और डिब्बों की संख्या उस रूट की भारतीय रेल की सबसे अधिक डिब्बों की गाड़ी से अधिक नहीं होगी. दस्तावेज के मुताबिक पैसेंजर ट्रेनों का रखरखाव RDSO द्वारा तय मानक के हिसाब से होगा. ट्रेनों के रखरखाव की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी की होगी.

रेलवे में बदलावों का समर्थन
इस बीच इंडियन रेलवे प्रोमोटी ऑफिसर्स फेडरेशन (IRPOF) अपने काडरों के विलय की मंत्रालय की योजना के समर्थन में सामने आया है. रेल मंत्री पीयूष गोयल को छह जनवरी को लिखे पत्र में यूनियन के महासचिव रमन कुमार शर्मा ने कहा कि यूनियन ने रेलवे में बदलावों का समर्थन करने का फैसला किया है.

रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन
27 दिसंबर और 28 दिसंबर को हुई वार्षिक आम सभा की बैठक में इसके पुनर्गठन पर चर्चा के बाद यह पत्र लिखा गया. रेलवे ने दिसंबर में रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन किया और एकमात्र रेलवे प्रबंधन प्रणाली में अपने विभिन्न काडरों का विलय किया.

प्राइवेट ट्रेनों के साथ कोई भेदभाव नहीं
मसौदे के मुताबिक Indian Railways प्राइवेट ऑपरेटरों की ट्रेनों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा.

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