नई दिल्ली, 24 मई। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी द्वारा माइन डेवलपर सह ऑपरेटर (mine developer cum operators) को लेकर दिए जा रहे बयान असमंजस की स्थिति पैदा कर रहे हैं। एक बयान में उन्होंने एमडीओ मॉडल को कामगारों के हितों पर खतरा बताया था। शुक्रवार को दिए दूसरे बयान में श्री रेड्डी ने कहा कि सरकार 50 फीसदी कोयला उत्पादन एमडीओ के माध्यम से कर सकती है।
धनबाद मेंं अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (ABKMS) की कार्यसमिति की बैठक के दौरान के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि हम केन्द्र सरकार से कम से कम 50 प्रतिशत विभागीय एवं 50 प्रतिशत एमडीओ माध्यम से कोयला उत्पादन की मांग कर रहे हैं। ठीक दो माह पूर्व मार्च में बीएमएस के कोल प्रभारी श्री रेड्डी ने कोरबा जिले में कोयला खदानों के निजीकरण को कामगारों के लिए खतरा बताते हुए एमडीओ मॉडल का संगठन द्वारा पुरजोर विरोध करने की बात कही थी।
बीएमएस के कोल प्रभारी एक ओर एमडीओ के पुरजोर विरोध की बात करते हैं तो दूसरी ओर 50 फीसदी एमडीओ व्यवस्था पर सहमति जताते हैं। वहीं अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ ने अब तक एमडीओ को लेकर किसी प्रकार का जमीनी विरोध या आंदोलन जैसा कुछ नहीं किया है। बीएमएस और एकेबीएमएस के नेता केवल बयानों तक ही सीमित हैं। इससे पता चलता है कि बीएमएस के कोल प्रभारी और एकेबीएमएस की एमडीओ को लेकर कोई स्पष्ट रणनीति नहीं है।
वैसे भी के. लक्ष्मा रेड्डी अपने सुर बदलने के लिए जाने जाते हैं। जब केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध की बात आती है तो रेड्डी अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। एमडीओ को लेकर दो माह के भीतर दो तरह के बयान से यह साफ होता है कि रेड्डी केन्द्र की नीतियों की मुखालफत का माद्दा नहीं रखते हैं।
MDO के लिए 28 कोल प्रोजेक्ट्स का चिन्हांकन
यहां बताना होगा कि कोयला मंत्रालय एमडीओ पर तेजी से काम कर रहा है। फेज- 1 में 172.67 मिलियन टन क्षमता वालीं 15 कोल प्रोजेक्ट्स का चिन्हांकन एमडीओ के लिए किया गया है। फेज- 1 के 15 कोल प्रोजेक्ट्स में 6 से उत्पादन शुरू हो चुका है। दूसरे फेज के लिए 13 कोल प्रोजेक्ट्स चिन्हांकित किए गए हैं। इन 13 कोयला खदानों की क्ष्मता 80.62 मिलियन टन की है। सबसे गंभीर बात यह है कि एमडीओ यानी निजी कंपनी के हाथों में कोल प्रोजेक्ट्स जाने के बाद यहां आर एंड आर पॉलिसी लागू नहीं होगी।