नई दिल्ली, 23 अगस्त। भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने सरकार की निजीकरण (privatization) की नीतियों के विरोध में 17 नवम्बर को दिल्ली में प्रस्तावित रैली की तैयारी शुरू कर दी है।

इसी के तहत नवाबगंज में एक सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में उत्तर क्षेत्र के विभिन्न प्रान्तों के अलग- अलग संस्थानों के लगभग 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस दौरान बीएमएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस मल्लेशम एवं सचिव गिरीश चन्द्र आर्या ने मीडिया से चर्चा की। दोनों श्रमिक नेताओं ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ प्रारंभ से ही निजीकरण व निगमीकरण की नीति का विरोध कर रहा है। बीएमएस ने कभी भी सम्पूर्ण निजी क्षेत्र के सार्वजनीकरण के कम्यूनिष्ट दृष्टिकोण का या सम्पूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के पूंजीवादी दृष्टिकोण का समर्थन नहीं किया है। दोनों का राष्ट्र निर्माण में अपना विशिष्ट योगदान है। सरकार द्वारा अपनी तीक्ष्ण निजीकरण की नीतियों को विभिन्न तरीकों से लागू किया गया, जबकि बहुत बड़ी संख्या में अप्रत्यक्ष निजीकरण, सरकारी कार्यों को ठेके के माध्यम से या सरकारी संस्थानों में ठेका श्रमिकों से कार्य कराने के माध्यम से यह पहले से ही व्याप्त है।

सरकार द्वारा यह निजीकरण एलआईसी में आईपीओ के माध्यम से विनिवेश करने, वित्तीय संस्थानों बैंको आदि के मर्जर व सम्पूर्ण हिस्सेदारी बेचने, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में उनकी हिस्सेदारी वापस लेने, रक्षा प्रतिष्ठानों के निगमीकरण करके भविष्य में निजीकरण की पृष्ठभूमि तैयार करने, गोको मॉडल लागू करने आदि तरीको को बड़े स्तर पर अपनाकर किया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों की स्थापना कभी भी लाभ के दृष्टिकोण से नहीं की गयी थी। आज

समाज में जो भी बड़े उद्योग कार्य कर रहे हैं उनको आधारभूत मजबूत औद्योगिक ढांचा उपलब्ध कराने में सार्वजनिक क्षेत्र का बड़ा योगदान रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों ने क्षेत्रीय, सामाजिक, आर्थिक, लैगिंक विषमताआें को दूर करने के साथ ही रोजगार उत्पन्न करने व पूंजी निर्माण में एक बड़ी भूमिका निभायी है और आज भी निभा रहे हैं।

बीएमएस नेता द्वय ने कहा कि सार्वजनिक व सरकारी क्षेत्र के उपक्रम एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ अनेकां मध्यम व लघु उद्योगों को जीवित रखे हुए है जिनसे लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ इनमें लाखों की संख्या में कार्य कर रहे कर्मचारियों एवं मजदूर के वित्तीय उन्नयन का कार्य किया है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान इन संस्थानो ने देश की औद्योगिक गतिविधियों में निरंतरता बनाने एवं श्रमिकों के संरक्षण का कार्य किया।

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