नई दिल्ली, 20 जुलाई। मणिपुर में भीड़ द्वारा कुकी आदिवासी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना सामने आने के बाद इस संबंध में एक एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में कहा गया है कि उनमें से एक के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. दोनों कुकी महिलाओं ने द वायर को बताया है कि मणिपुर पुलिस अपराध स्थल पर मौजूद थी, लेकिन उन्होंने उनकी मदद नहीं की.

यह घटना राज्य में तीन मई को बहुसंख्यक मेईतेई और कुकी आदिवासी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के अगले दिन 4 मई को कांगपोकपी जिले के ’बी फैनोम’ गांव में हुई थी.

वीडियो में से एक महिला ने कहा, ’मणिपुर पुलिस वहां मौजूद थी, लेकिन उन्होंने हमारी मदद नहीं की. ’

दूसरी महिला ने कहा कि उन्होंने चार पुलिसकर्मियों को कार में बैठे देखा था, जो हिंसा होते हुए देख रहे थे. उन्होंने कहा, ’उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया.’ इन महिला के पिता और भाई भीड़ के इस हमले में मारे गए थे.

पहली महिला ने कहा कि ’बी फैनोम’ गांव के निवासियों को उनके मेईतेई पड़ोसियों से जानकारी मिली कि मेईतेई लोगों की भीड़ गांव में आ रही है. कुकी ग्रामीणों को पता था कि उन्हें गांव से भागना होगा, लेकिन वीडियो में देखी गईं दो महिलाओं के परिवार भाग नहीं पाए थे और भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया.

पहली महिला ने कहा, ’मैं दूसरी महिला के बारे में सोच रही थी… लेकिन हमलावर कुछ भी नहीं सोच रहे थे. वे हमें एक झाड़ीदार इलाके में ले गए. तीन लोगों ने मुझे पकड़ लिया और एक ने आवाज दी कि, ’जो लोग इन्हें टॉर्चर करना चाहते हैं, आ जाएं.’

पहली महिला ने बताया कि मेईतेई समुदाय के सदस्यों में भी ऐसे लोग थे, जिन्होंने उनकी मदद की. उन्होंने कहा, ’उनमें से कुछ ने हमें अपने कपड़े उतारने के लिए कहा, लेकिन ऐसे लोग भी थे, जो हमें बचाना चाहते थे.’

मणिपुर में 3 मई से इंटरनेट बंद है, जो इस वीडियो के घटना के इतने समय बाद सामने आने का कारण है.

बीते 19 जुलाई को मणिपुर पुलिस ने इस मामले पर ट्वीट किया, जिसके बाद कई लोगों ने बताया कि ’इस खौफनाक घटना को 77 दिन हो गए हैं.’

मणिपुर पुलिस ने ट्वीट किया, ’4 मई, 2023 को अज्ञात हथियारबंद बदमाशों द्वारा दो महिलाओं को नग्न घुमाने के वायरल वीडियो के संबंध में अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ नोंगपोक सेकमई थाने (थौबल जिला) में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या आदि का मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है. राज्य पुलिस दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.’

20 जुलाई को एक ट्वीट में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दावा किया पुलिस ने घटना के संबंध में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.

पत्रकार वसुधा वेणुगोपाल ने सरकारी सूत्रों से मिले इनपुट के आधार पर द्वीट किया है। कि केंद्र सरकार ’ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है, क्योंकि ऐसे वीडियो दिखाने से कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है.’

उनके ट्वीट में कहा गया, ’आईटी मंत्रालय अब सभी प्लेटफॉर्म पर नजर बना हुए है कि वीडियो फैलाया न जा रहा हो.’

इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) की सदस्य ग्रेसी ने दोनों महिलाओं से मुलाकात की.

उन्होंने कहा, ’मेरा दिल भरा हुआ है. मैंने उनकी कहानियां सुनी हैं, मैं उनसे मिली, उनसे बात की, लेकिन अब वीडियो देखकर मैं फिर व्यथित हो उठी हूं. महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार की इतनी सारी कहानियां सामने आ रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक भी शब्द नहीं?’

पिछले दो महीनों से कुकी समुदाय के लोग दावा कर रहे हैं कि मणिपुर पुलिस ने मेईतेई समुदाय का पक्ष लिया है.

मणिपुर में महिलाओं का नग्न परेड कराने की घटना में 2 और गिरफ्तारी, अब तक 4 आरोपी पकड़े गए

मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा है कि थोबल जिले के नोंगपोक सेकमाई थाना अंतर्गत अपहरण और सामूहिक बलात्कार के जघन्य अपराध के तीन और मुख्य आरोपियों को आज गिरफ्तार कर लिया गया है। इस तरह अब तक कुल चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। राज्य पुलिस अन्य दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। छापेमारी जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने घटना का संज्ञान लिया

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुई इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी घटना अस्वीकार्य है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने मणिपुर सरकार से अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है.

सीजेआई ने कहा, ‘अदालत मणिपुर में महिलाओं के साथ यौन हिंसा के अपराध पर कल (बुधवार) सामने आए वीडियो से बहुत परेशान है. हमारा विचार है कि अदालत को अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘मीडिया में दिखाए गए दृश्य घोर संवैधानिक उल्लंघन को दर्शाते हैं. तनावपूर्ण माहौल में हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’

साभार : द वायर

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