बालको के प्रोत्साहन से किसानों ने ली स्वास्थ्यवर्धक काले चावल की फसल

वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) की सामुदायिक विकास परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ के तहत क्षेत्र के किसानों ने औषधीय गुणों वाले काले चावल की खेती प्रारंभ की है।

कोरबा, 16 नवंबर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) की सामुदायिक विकास परियोजना ‘मोर जल मोर माटी’ के तहत क्षेत्र के किसानों ने औषधीय गुणों वाले काले चावल की खेती प्रारंभ की है। मधुमेह सहित अनेक रोगों में यह चावल फायदेमंद है। सामान्य चावल के मुकाबले काले चावल का बाजार मूल्य अधिक है। वर्ष 2020 से ग्राम दोंदरो और आसपास के क्षेत्रों में प्रयोग के तौर पर प्रारंभ काले चावल की खेती के रकबे मंे बढ़ोत्तरी हुई है। बालको-नाबार्ड प्रोत्साहित कोरबा कृषक उन्नयन प्रोडक्शन कंपनी लिमिटेड (केकेयूपीसीएल) ने इस वर्ष तमिलनाडु राज्य को काले चावल की आपूर्ति करने में सफलता पाई है।

कृषि विज्ञान शोध केंद्र, कटघोरा के विशेषज्ञों के अनुसार काले चावल में एंथोसायनिन और फ्लेवोनोइड जैसे अनेक एंटीऑक्सिडेंट के अलावा फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। काले चावल कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह को नियंत्रित करने में मददगार हैं साथ ही इनमें एंटी-कैंसर तथा एंटी-इफ्लेमेटरी गुण पाये जाते हैं। इनमें फाइबर भी खूब होता है। एंथोसायनिन से रक्त लिपिड में सुधार होता है जिससे हृदय संबंधी रोगों से सुरक्षा मिलती है। इन खूबियों के कारण मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए काला चावल उत्तम माना जाता है।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने किसानों द्वारा जैविक तकनीकों की मदद से औषधियुक्त काले चावल की खेती पर प्रसन्नता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि सामुदायिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत काले चावल की खेती बालको की विशिष्ट पहल है। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। वेदांता-बालको ने कृषि उन्नयन को सदैव ही प्रोत्साहित किया है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया है कि वे बालको-नाबार्ड संचालित कृषि उन्नयन परियोजनाओं का भरपूर लाभ उठाएं।

बालको की कृषि प्रोत्साहन योजनाओं से लाभान्वित होने वाले दोंदरो गांव के श्री अशोक चंद्रा ने बताया कि बालको स्थापित वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर ने उन्हें वर्ष 2020 में जैविक कृषि के जरिए एक एकड़ खेत में काले चावल की फसल लेने में मदद की। रासायनिक खेती के मुकाबले जैविक खेती की लागत 50 फीसदी कम थी। पिछले वर्ष के आंकड़ों से उत्साहित होकर वर्ष 2021 में श्री चंद्रा ने चार एकड़ खेत में काले चावल की रोपाई की है। उन्होंने तकनीकी मदद के लिए बालको के प्रति आभार व्यक्त किया है।

नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक श्री संजीव प्रधान ने बताया कि बालको और नाबार्ड की पहल से स्थानीय किसानों को लाभ मिला है। किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों से जोड़ने, शासकीय योजनाओं की जानकारी देने तथा उसका लाभ लेने में मदद करने और कृषक संघ द्वारा उत्पादित फसलों को बाजार तक पहुंचाकर उन्हें उचित मूल्य दिलाने की दिशा में केकेयूपीसीएल उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

  • Website Designing