SQ ZAMA, INTUC
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नागपुर, 06 सितम्बर। राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशल (इंटक) ने महासचिव एसक्यु जामा ने कोयला कामगारों को एक लाख रुपए से अधिक बोनस दिए जाने की मांग उठाई है।

श्री जामा ने ठेका श्रमिकों के बोनस का मुद्दा भी उठाया है। इसको लेकर कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं निदेशक कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध को पत्र लिखा है। पत्र में बिन्दुवार यह लिखा गया है :

  • दिनांक 04.10.2021 को नई दिल्ली में CIL के मानकीकरण (Standardization) कमिटी की सभा में CIL ने वर्ष 2020-21 में अधिक मुनाफा होने के बावजूद पिछले वर्ष 72,500 कम बोनस ( Productivity Link Reward ) दिया गया।
  • वर्ष 2021-22 में बिजली की बढ़ती मांग के कारण पावर प्लॉन्ट में कोयले का भंडारण (Stock) खतरे के निशान से कम हो गया था। सभी कंपनियों में मानवशक्ति (Manpower) की लगातार हो रही कमी एवं COVID- 19 के गंभीर खतरे का जोखिम उठाते हुए कोयला मजदूरों ने उत्पादन बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के लिए कोयला मजदूरों को कम से कम एक लाख से उपर Bonus / Ex – Gratia मिलना चाहिए।
  • Payment of Bonus Act , 1965 के निर्धारित Ceiling से अधिक पगार होने के कारण Production (उत्पादन) Link Reward Scheme का मापदंड बहुत पुराना हो चुका है। इसलिए नए मापदंड Productivity (उत्पादकता) Link Award Scheme बनाने एवं लागू करने की आवश्यकता है। कोयले का उत्पादन अधिक या कम होना सरकारी नीति एवं प्रबंधकीय कार्यकुशलता पर निर्भर होता है न की मजदुरों के कारण जो पुरी ईमानदारी एवं निष्ठा से अपना कार्य संपादन करते है ।
  • कोल इंडिया में कार्यरत लाखों ठेकेदारी मजदूरों के साथ प्रबंधन एवं कोल इंडिया मानकीकरण कमेटी धोखा कर करती आ रही है क्योंकि CIL द्वारा कानूनी रूप से बोनस देने का आदेश निरर्थक है जो कभी लागू नही होता एवं कुछ अपवाद छोड़कर किसी भी ठेकेदारी मजदूर को बोनस नहीं दिया जाता है। CIL के मानकीकरण कमेटी की एक बैठक में सभी प्रतिनिधियों के समक्ष CIL के प्रतिनिधियों ने लिखा है कि ठेकेदारी मजदूरों के कानूनी बोनस इसलिए नहीं दिया जाता है क्योंकि Bonus Act – 1965 के अंतर्गत उनकी पगार 21,000 मासिक सीमा (Celling) से अधिक है। जबकी यह हकीकत है कि ठेकेदारी मजदूरों को HPC / CIL द्वारा 2013 से निर्धारित बढ़ा वेतन कुछ अपवाद छोड़कर किसी भी ठेकेदारी मजदूर को भुगतान नहीं किया जाता और नहीं उन्हें कानूनी बोनस दिया जाता है।
  • यदि CIL के विभागीय मजदूरों को कानूनी बोनस के ऐवज मे PLRS (Ex – gratia) की बढ़ी राशि दी जा सकती है तो लाखों ठेकेदारी मजदूरों को जो CIL के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करते हैं, उन्हें Ex – gratia क्यों नहीं दिया जा सकता।

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