विद्युत मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की हुई बैठक

बैठक में सूचित किया गया कि ट्रांसमिशन प्रणाली बिजली व्यवस्था का आधार है। एकीकृत ट्रांसमिशन नेटवर्क की बदौलत कहीं भी बिजली उत्पन्न की जा सकती है।

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर। विद्युत मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने की।

इस बैठक में विद्युत तथा भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर भी उपस्थित थे। संसदीय सलाहकार समिति की इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के माननीय सांसदों ने भाग लिया। बैठक में भाग लेने वाले सांसदों में चंद्रशेखर साहू, दिनेश लाल यादव, खगेन मुर्मू, महाबली सिंह, प्रद्युत बोरदोलोई, रितेश पांडे, तपन कुमार गोगोई, धीरज प्रसाद साहू, रामदास चंद्रभानजी तडस, श्रीमती संगीता कुमारी सिंह देव और बशिष्ठ नारायण सिंह, राज्य सभा शामिल थे। बैठक का विषय “भारत में राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड का विकास – उसका महत्व” था।”

बैठक में सूचित किया गया कि ट्रांसमिशन प्रणाली बिजली व्यवस्था का आधार है। एकीकृत ट्रांसमिशन नेटवर्क की बदौलत कहीं भी बिजली उत्पन्न की जा सकती है। हमारे पास देश में एक राष्‍ट्र, एक ग्रिड, एक फ्रीक्वेंसी, एक नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर है, जिसके परिणामस्वरूप एक बाजार है। भारत की ट्रांसमिशन प्रणाली विश्व का प्रमुख एकीकृत ग्रिड है।

वर्तमान में देश में बिजली की खपत 1,400 बिलियन यूनिट है और 2030 तक यह दोगुनी हो जाएगी। इसलिए, तदनुसार बिजली का उत्पादन बढ़ाने और ट्रांसमिशन क्षमता को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इस तरह देश का ट्रांसमिशन तेजी से बढ़ेगा। एकीकृत नेटवर्क (जनरल नेटवर्क एक्सेस) के साथ कहीं से भी बिजली खरीदना और बेचना आसान है। सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए आरई प्रबंधन केंद्र भी खोले हैं। हमने पारदर्शिता और समान अवसर के लिए सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) का सृजन किया है।

सांसदों को ‘भारत में राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड का विकास – उसका महत्व’ के संबंध में किए जा रहे विभिन्न सुधारों और उपायों के बारे में सूचित करने के लिए अध्यक्ष, सीईए की ओर से प्रस्तुति दी गई।

भारत सरकार ने देश में राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड के विकास के लिए विविध कदम उठाए हैं। इनमें राष्ट्रीय ग्रिड का विकास और वृद्धि, राष्ट्रीय ग्रिड के लाभ और विकास, राष्ट्रीय ग्रिड की योजना, आरई एकीकरण में राष्ट्रीय ग्रिड का महत्व, आरई को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार और लोड डिस्पैच सेंटर द्वारा ग्रिड प्रबंधन शामिल हैं।

भारत के समस्‍त 5 क्षेत्रीय ग्रिडों को दिसंबर 2013 तक जोड़कर राष्‍ट्रीय ग्रिड बनाया गया था। सुदूर लेह क्षेत्र को जनवरी 2019 में 220 केवी श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन सिस्टम के माध्यम से राष्‍ट्रीय ग्रिड से जोड़ा गया था। 2014-15 से नेशनल ग्रिड ट्रांसमिशन सिस्टम में 1,71,149 सीकेएम की ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी गई है और 2014-15 से उसमें 6,03,916 एमवीए की ट्रांसमिशन क्षमता को जोड़ा गया है। वर्तमान में, राष्‍ट्रीय ग्रिड की स्थापित क्षमता 404 गीगावॉट है और पूरी की जाने वाली अधिकतम मांग 216 गीगावॉट है।

राष्‍ट्रीय ग्रिड ने 1200 केवी अल्ट्रा हाई वोल्टेज एसी सिस्टम, आरओडब्ल्यू को कम करने के लिए टॉवर डिजाइन, ऐप आधारित पेट्रोलिंग, हॉट लाइन का रखरखाव, लैस लैंड रीजन्‍स के लिए ट्यूबलर पोल और रखरखाव के लिए गैस इंसुलेटेड स्विचगियर (जीआईएस) जैसी कई प्रौद्योगिकियों को अपनाया है। ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर और अंतर-क्षेत्रीय ट्रांसमिशन क्षमता में वृद्धि के साथ, ट्रांसमिशन नेटवर्क में संकुलन से राहत मिली है। साथ ही, इसने कीमतों में कमी के साथ ओपन एक्सेस लेनदेन को भी बढ़ावा दिया है।

गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के एकीकरण के लिए उठाए गए कदमों में हरित ऊर्जा गलियारों का कार्यान्वयन करना, अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा पार्कों के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली, 2022 तक 66.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली, आरई उत्पादन की विषमता और अनिश्चितता को दूर करने के लिए 13 आरई प्रबंधन केंद्रों (आरईएमसी) की स्थापना, 2026-27 तक अतिरिक्त 52 गीगावाट संभावित आरईजेड के एकीकरण के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली की योजना तैयार करना, 2030 तक अतिरिक्‍त 181.5 गीगावाट आरईएस के लिए ट्रांसमिशन योजनाओं की योजना बनाना और क्रमिक रूप से इसका कार्यान्वयन किया जाना शामिल है ।

पावरग्रिड द्वारा 5 राज्यों में 7 सौर पार्कों (6500 मेगावाट) के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली कार्यान्वित की गई है, जिसमें लगभग 1870 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइनें और 1,3500 एमवीए ट्रांसमिशन क्षमता वाले 5 सब-स्टेशन शामिल हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधारों में सौर और पवन ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न बिजली के ट्रांसमिशन पर अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क की छूट, मौजूदा पीपीए के तहत तापीय/ हाइड्रो ऊर्जा के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को जोड़ना, ग्रीन टर्म-अहेड मार्केट (जीटीएएम), आरई जनरेशन प्रोजेक्ट तक आसान पहुंच- जनरल नेटवर्क एक्सेस शामिल है।

पोसोको द्वारा ग्रिड प्रबंधन के परिचालन क्षेत्रों में नेशनल ओपन एक्सेस रजिस्ट्री (एनओएआर) हैं। एनओएआर पारदर्शी तरीके से ग्रीन ओपन एक्सेस की सुविधा प्रदान करेगा और एसएलडीसी के साथ एकीकरण भी प्रगति पर है।

ट्रांसमिशन क्षेत्र में हाल में किए गए सुधार के उपायों के अंतर्गत पारदर्शिता लाने और सभी ट्रांसमिशन डेवलपर्स के लिए समान अवसर उपलब्‍ध कराने के लिए सीटीयू को पावरग्रिड से अलग किया गया है।

राष्ट्रीय ग्रिड के भविष्य के लक्ष्यों में आरई के त्रुटिहीन एकीकरण के लिए उत्‍पादन से पहले ट्रांसमिशन, ओएसओडब्‍ल्‍यूओजी : वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड, ग्रीन ओपन एक्सेस को सुगम बनाना तथा आपूर्ति की विश्वसनीयता सुनिश्चित करना शामिल हैं।

सांसदों ने विद्युत मंत्रालय की ओर से की गई विभिन्न पहलों और योजनाओं के संबंध में कई सुझाव दिए। श्री सिंह ने बैठक में उपस्थित महानुभावों का उनके बहुमूल्य सुझावों के लिए आभार प्रकट करते हुए बैठक का समापन किया।

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