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नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट- XI के लिए जेबीसीसीआई- XI का गठन किया जाना है। कोयला मंत्रालय की मंजूरी के बाद से ही तमाम कोयला कामगारों और श्रमिक संगठनों में इसको लेकर चर्चा चल रही है।

इधर, श्रमिक संगठनों में हलचल शुरू हो चुकी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि वेतन समझौते को लेकर श्रमिक संगठनों में एक राय बनेगी। कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड तैयार हो सकेगा। फिलहाल इसकी संभावना कम ही दिख रही है। बताया जा रहा है कि भारतीय मजदूर संघ इसके पक्ष में नहीं है। यहां बताना होगा कि कमर्शियल माइनिंग को लेकर पांचों प्रमुख यूनियन बीएमएस, इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस एक मंच पर आए थे। केन्द्र के इस फैसले की पांचो यूनियन ने जोरदार मुखालफत की थी। उस वक्त बीएमएस का नेतृत्व डा. बीके राय ने किया था। उनके कोल प्रभारी के पद से हटने के बाद बीएमएस ने राजनीति करने का आरोप मढ़ते हुए संयुक्त मोर्चा से किनारा कर लिया।

नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट को लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा अपने स्तर पर मांग पत्र तैयार किया जाता है। जानकारी के अनुसार नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-X के दौरान कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड बनाया था। ड्राफ्ट पर सभी केंद्रीय यूनियन ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन समझौते के वक्त एचएमएस ने एजेंडे को मानने से इनकार कर दिया। इस वजह से प्रबंधन को फिर से सभी यूनयिन से अलग-अलग बात करनी पड़ी थी।

यहां बताना होगा कि जेबीसीसीआइ में पहले पांच यूनियन के लोग बैठते थे। इससे विषम परिस्थितियों में भी यह होता था कि यूनियन के प्रतिनिधि आपस में किसी मुद्दे पर वोटिंग करे थे। किसी पक्ष में तीन-दो का बहुमत होने पर उस पर सहमति का प्रयास होता था। जेबीसीसीआइ -X से इंटक नहीं है। हालांकि इंटक का प्रतिनिधित्व दिया गया था, लेकिन संगठन का मामला कोर्ट में होने के कारण इंटके के बगैर ही नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-X को अंजाम दिया गया। जेबीसीसीआई – XI में इंटक को प्रतिनिधित्व मिलेगा या नहीं अभी यह स्पष्ट नहीं है। इंटक के तीनों गुट जेबीसीसीआई के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं।

नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट- XI को लेकर सभी केन्द्रीय यूनियन के लोग आपस में चर्चा करते हैं या नहीं, यदि चर्चा होती है तो कौन- कौन सी यूनियन साथ आती है, यह बाद में पता चलेगा। फिलहाल सभी की नजर कोल इंडिया लिमिटेड पर है कि जेबीसीसीआई-X की मीटिंग कब बुलाई जाती है। ताकि जेबीसीसीआई-XI के गठन की प्रक्रिया शुरू हो सके।

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