भोपाल, 18 जून। मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) के अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के साथ संयुक्त उपक्रम में 660 मेगावाट क्षमता वाली इकाई के निर्माण के प्रस्ताव को रद्द किए जाने की मांग की गई है। पॉवर इंजीनियर्स एवं एम्प्लाइज एसोसिएशन (PEEA) के महासचिव अजय कुमार मिश्रा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि नई प्रस्तावित इकाई का निर्माण मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व में ही कराया जाए।

मुख्यमंत्री को बताया गया है कि मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड मप्र शासन के पूर्ण स्वामित्व की विद्युत उत्पादन कंपनी है। कंपनी के समस्त ताप एवं जल विद्युत गृह अपनी क्षमता के अनुरूप सतत विद्युत उत्पादन कर रहे हैं तथा नये कीर्तिमान भी स्थापित कर रहे हैं। जनरेटिंग कंपनी द्वारा वर्ष 2022- 23 में 29698.31 मिलियन यूनिट के विद्युत उत्पादन का कीर्तिमान भी स्थापित किया गया। अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई (1 गुणा 210 मेगावाट इकाई) मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की सबसे कम लागत में बिजली उत्पादन करने वाला प्रदेश का ताप विद्युत गृह है, जिसे कई बार भारत सरकार द्वारा भी अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं।

प्रदेश में बढ़ती विद्युत की मांग को देखते हुए पूर्व में मप्र शासन द्वारा विद्युत उत्पादन कंपनी के पूर्ण स्वामित्व में 660 मेगावाट की नई ताप विद्युत इकाइयों के निर्माण की बात कही गई थी। इसके विपरीत जाकर अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई जो कि उत्पादन कंपनी का सबसे किफायती ताप विद्युत गृह है वहां एसईसीएल एवं एमपीपीजीसीएल के साथ संयुक्त उपक्रम में नई कंपनी का गठन कर 660 मेगावाट की नई इकाई स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है।

अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई में एमपीपीजीसीएल के पूर्ण स्वामित्व में नई 660 मेगावाट क्षमता की इकाई का निर्माण किया जाता है, तो इसमें कंपनी को एवं मप्र शासन को ही पूरी तरह से लाभ होगा, क्योंकि यहां विद्युत उत्पादन की लागत प्रदेश में सबसे कम है।

नियमानुसार नए इकाइयों के निर्माण में 80 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में उत्पादन कंपनी प्राप्त कर सकती है, 15 प्रतिशत की राशि म.प्र. शासन द्वारा उत्पादन कंपनी को स्वीकृत किया जा चुका है, तो केवल पांच फीसदी की बची हुई राशि हेतु एसईसीएल के साथ संयुक्त उपक्रम में नई कंपनी का निर्माण कर 660 मेगावाट क्षमता की नई इकाई स्थापित किये जाने का प्रस्ताव कहीं से उचित नहीं है। इससे भविष्य में मप्र शासन को भारी वित्तीय नुकसान होगा।

पांच प्रतिशत बची हुई राशि की व्यवस्था बकाया देयक राशि एवं अन्य आंतरिक स्रोतों से की जा सकती है। इस नई इकाई के लिए सम्पूर्ण क्लियरेंस एवं कार्य एमपीपीजीसीएल द्वारा संपादित किये जा रहे हैं। किसी को सिर्फ लाभ के लिए हिस्सेदार बनाना समझ से परे है।

मुख्यमंत्री से यह भी कहा गया है कि अमरकंटक ताप विद्युत गृह में एक नई संयुक्त उपक्रम कंपनी के गठन से विवादास्पद स्थितियां निर्मित होंगी, जैसे राख संधारण, जल संधारण, कोयला, कालोनी, क्वार्टर, मैन पावर इत्यादि। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में विद्युत टेरिफ पॉलिसी के स्पष्टीकरण अनुसार “मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार के मामलों को छोड़कर या जहां एक चिन्हित विकासकर्ता के रूप में राज्य नियंत्रित/स्वामित्व वाली कंपनी है और जहां नियामकों को मानदंडों के आधार पर टैरिफ निर्धारण का सहारा लेने की आवश्यकता होगी, को छोड़कर बिजली की सभी भविष्य की आवश्यकता को वितरण लाइसेंसीधारियों द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक रूप से खरीदा जाना चाहिए।“

अर्थात वितरण लाइसेंसधारियों को पीपीए द्वारा विद्युत क्रय नये उत्पादक से किया जाना संभव नही है। अमरकंटक नवीन परियोजना हेतु Power Purchase Agreement (PPA) अनुमति राज्य नियंत्रण स्वामित्व वाली कंपनी होने एवं मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार के कारण ही प्राप्त हुई है, ऐसी स्थिति में संयुक्त उपक्रम के नाम पर नई कंपनी बनाकर इसे स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो उस परिस्थिति में संयुक्त उपक्रम द्वारा PPA, म.प्र.पा. मैनेजमेंट कंपनी के साथ TBCB के माध्यम से प्राप्त करना होगा अन्यथा विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के नियमों का सीधा उल्लंघन होगा।

Power Engineers and Employees Association ने मुख्यमंत्री से अमरकंटक ताप विदयुत गृह, चचाई में एसईसीएल के साथ स्थापित किए जाने वाले 660 मेगावाट क्षमता के संयुक्त उपक्रम के प्रस्ताव को अविलंब रद्द करने की मांग की है।

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