हम जितने भी ग्रहों को जानते हैं, उनमें पृथ्वी अकेला ऐसा ग्रह है जहां जीवन मोजूद है. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे ब्रह्मांड में ऐसे और भी ग्रह हो सकते हैं, जहां जीवन की संभावनाएं धरती से बेहतर हैं. इन ग्रहों को सुपर-हैबिटेबल प्लेनेट (Superhabitable Planet) कहा जा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन की बेहतर संभावना वाले इन ग्रहों को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए. शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे और भी ग्रह हो सकते हैं जहां जीवन के लिए पृथ्वी जैसी या इससे भी बेहतर स्थिति मिल सकती है.

वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी (Washington State University) और बर्लिन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट (Astrobiologist) डर्क शुल्ज़-मकुच (Dirk Schulze-Makuch) का कहना है कि हमारा फोकस, बिल्कुल पृथ्वी जैसी संभावना वाले ग्रह खोजने पर है. ऐसे में हो सकता है हमारी नजरों से वे ग्रह छूट जाएं जहां जीवन की संभावनाएं पृथ्वी से ज़्यादा बेहतर हों.

संभावित सुपरहेबिटेबल एक्सोप्लैनेट्स की खोज के लिए, शुल्ज़-मकुच और उनकी टीम ने केपलर ऑब्जेक्ट ऑफ इंटरेस्ट एक्सोप्लेनेट आर्काइव (Kepler Object of Interest Exoplanet Archive) की जांच की इस जांच में करीब 4,500 ऐसे प्लेनेटरी सिस्टम पर फोकस किया गया था, जिनमें ऐसी चट्टानें थीं जिनके अंदर तरल पानी रह सकता है इस शोध को 2020 में एस्ट्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया था इन वैज्ञानिकों ने सूर्य जैसे पीले ड्वार्फ तारों वाले ग्रहों के अलावा, नारंगी ड्वार्फ तारों को भी देखा, जो ठंडे, धुंधले और सूर्य से छोटे थे शुल्ज़- मकुच का कहना है कि जीवन की संभावनाओं वाले ग्रहों को होस्ट करने के लिए सूर्य को सबसे अच्छा तारा नहीं माना जा सकता.

मिल्की वे (Milky Way) में पीले ड्वार्फ तारों की तुलना में, नारंगी तारों की संख्या करीब 50% ज़्यादा है. अपनी इस बात के पक्ष में उन्होंने सूर्य और इन ग्रहों के जीवनकाल का हवाला दिया. शुल्ज़-मकुच के मुताबिक, अनुमान लगाया जाता है कि हमारे सूर्य का जीवनकाल करीब 1000 करोड़ साल से कम है, जबकि नारंगी तारों का जीवनकाल 2000 से 7000 करोड़ साल है. चूंकि पृथ्वी पर जटिल जीवन दिखने में करीब 350 करोड़ साल लगे, इस हिसाब से नारंगी ड्वार्फ तारों के लंबे जीवनकाल में, जीवन को विकसित करने वाली स्थितियों को बनाने में ज़्यादा समय लग हो. पृथ्वी करीब 450 करोड़ साल पुरानी है, इसलिए शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जीवन के लिए सबसे बेहतर स्थिति ऐसे ग्रहों की हो सकती है जिनका जीवनकाल 500 से 800 करोड़ साल हो.

शोधकर्ताओं का मानना है कि किसी ग्रह का आकार और द्रव्यमान (Mass) भी उस ग्रह पर जीवन की संभावना को प्रभावित कर सकते हैं. चट्टान वाला ऐसा ग्रह जो पृथ्वी से बड़ा हो, उसकी सतह पर जीवन की बेहतर और ज़्यादा संभावना होगी. पृथ्वी के करीब 1.5 गुना ज्यादा द्रव्यमान वाले ग्रह में, अपनी आंतरिक गर्मी को लंबे समय तक बनाए रखने की ज़्यादा संभावना होगी. इससे उसका कोर पिघला रहेगा और उसका सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र ज्यादा समय तक सक्रिय रहेगा. ऐसे में जीवन की उत्पत्ति की संभावना ज्यादा हो सकी है.

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