विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन कीचेतावनी- ओमिक्रॉन वैरिएंट को हल्‍का नहीं समझा जाना चाहिए

संगठन की नैदानिक प्रबंधन प्रमुख जैनेट डियाज ने जेनेवा में संवाददाताओं से कहा कि आरंभिक अध्‍ययनों से पता चला है कि इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों को अस्‍पताल में दाखिल कराने की जरूरत कम पडी़।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कहा है कि कोविड-19 का अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा की तुलना में कम घातक प्रतीत हो रहा है। लेकिन संगठन ने चेतावनी दी कि इसे हल्‍का नहीं समझा जाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें : मुंबई में 13 जनवरी से कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज़ लगाने की शुरुआत होगी

संगठन की नैदानिक प्रबंधन प्रमुख जैनेट डियाज ने जेनेवा में संवाददाताओं से कहा कि आरंभिक अध्‍ययनों से पता चला है कि इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों को अस्‍पताल में दाखिल कराने की जरूरत कम पडी़।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानॉम ग्रेबेयासिस ने कहा कि इस वैरिएंट को हल्‍का नहीं माना जाना चाहिए क्‍योंकि इसका संक्रमण पूरे विश्‍व में रिकॉर्ड तेजी से बढा है।

उन्‍होंने पूरी दुनिया में टीकों की समान उपलब्‍धता सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि टीकाकरण की मौजूदा दर से दुनिया के 109 देश जुलाई तक 70 प्रतिशत नागरिकों के पूर्ण टीकाकरण के विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्‍य पूरा नहीं कर पायेंगे।

इसे भी पढ़ें : निर्वाचन आयोग ने संसदीय और विधानसभा चुनाव के लिए उम्‍मीदवारों की चुनाव खर्च सीमा बढाई

उन्‍होंने कहा कि जब तक अरबों लोग टीकाकरण से वंचित और असुरक्षित रहेंगे केवल कुछ देशों में बूस्‍टर के बाद बूस्‍टर डोज से महामारी का अंत नहीं होगा।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

  • Website Designing