नई दिल्ली, 13 जुलाई। उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार, जिसने दो महीने पहले केंद्र के लगातार दबाव के बावजूद बिजली उत्पादन के लिए आयातित कोयला नहीं खरीदने का फैसला किया था, आखिरकार प्रस्ताव पर सहमत हो गई है।

राज्य सरकार ने अब कोल इंडिया के माध्यम से 1098 करोड़ रुपये की लागत से 5.46 लाख मीट्रिक टन आयातित कोयला खरीदने का फैसला किया है।

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मई में योगी सरकार ने केंद्र को स्पष्ट कर दिया था कि वह आयातित कोयले की खरीद नहीं करेगी क्योंकि इससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हालांकि, आने वाले महीनों में कोयले की बढ़ती कमी के कारण राज्य सरकार को अपने फैसले की समीक्षा करनी पड़ी।

यहां बताना होगा कि आयातित कोयले की कीमत 20,000 रुपये प्रति टन है, जबकि घरेलू कोयले की कीमत 3000 रुपये प्रति टन है। बताया गया है कि इस फैसले से उपभोक्ताओं पर तुरंत असर नहीं पड़ेगा, लेकिन आने वाले समय में यह उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ेगा। हालांकि राज्य सरकार ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) को 1098 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का भी फैसला किया है।

बताया गया है कि अगस्त और सितंबर के लिए यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (यूपीआरवीयूएनएल) और इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स (आईपीपी) की कोयले की आवश्यकता को पूरा करने का निर्णय लिया गया है। दोनों की कोयले की आवश्यकता 136.52 लाख मीट्रिक टन है।

दरअसल, यूपी के थर्मल पावर स्टेशनों को प्रतिदिन घरेलू कोयले के 15- 17 रैक का आबंटित कोटा मिलना चाहिए था, लेकिन संकट के दौरान कोल इंडिया ने इसे घटाकर 11- 12 रैक प्रतिदिन कर दिया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिजली, अवनीश अवस्थी के अनुसार, कोल इंडिया द्वारा यूपी थर्मल पावर स्टेशनों के लिए घरेलू कोयले के आबंटन में कटौती के कारण आयातित कोयला खरीदने का निर्णय आवश्यक हो गया है। इसके परिणामस्वरूप आने वाले दिनों में राज्य में गंभीर बिजली संकट हो सकता था।

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वास्तव में, केंद्र द्वारा घरेलू कोयले में प्रति दिन 3-4 रैक की कटौती अगस्त और सितंबर के बरसात के मौसम में राज्य में बिजली उत्पादन को प्रभावित करती। अब राज्य सरकार ने आयातित कोयला खरीदने के अपने फैसले से केंद्र को अवगत करा दिया है जिससे यूपी का घरेलू कोयला कोटा बहाल हो जाएगा।

इस बीच, राज्य सरकार यूपीपीसीएल को 1098 करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर अतिरिक्त बोझ वहन करेगी। निगम के प्रबंध निदेशक को यूपी विद्युत नियामक आयोग के समक्ष टैरिफ संशोधन का प्रस्ताव पेश करने के लिए निर्देषित किया गया है।

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