मजदूरों के तमाम ऐतराज और विरोध के बावजूद सरकार नई श्रम संहिताओं में कोई बदलाव के लिए तैयार नहीं है, बल्कि हर सूरत में इन्हें एक अप्रैल से लागू कर देने की योजना पर कवायद चल रही है। इससे पहले दिसंबर में ही लागू करने की योजना पर विचार हो रहा था।

श्रम सचिव अपूर्वा चंद्रा ने 14 अक्टूबर को कहा, संसद ने अपने अभी तक के सत्र में तीन श्रम कोड बिल औद्योगिक संबंध (आईआर ) कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें कोड पारित किए हैं। वेज कोड बिल पिछले साल पारित किया गया था। उन्होंने आगामी वित्तीय वर्ष में इन कोडों के एक साथ लागू होने की पुरजोर संभावना जताई।

सितंबर में श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि दिसंबर 2020 तक सभी चार श्रम कोडों को लागू करके श्रम सुधारों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। मंत्रालय सभी चार कोड और नियमों को एक ही बार में लागू करना चाहता था क्योंकि ये सभी एक दूसरे से जुड़े हैं।

पत्रकारों से बातचीत में श्रम सचिव ने कहा, ‘हमने संसद में हाल ही में पारित तीन श्रम कोडों के मसौदा नियमों को मजबूत करने पर काम शुरू कर दिया है। फीडबैक लेने के लिए नवंबर के मध्य तक मसौदा नियमों को अधिसूचित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए 45 दिनों का समय देंगे।

संसद में एक कानून पारित होने के बाद राष्ट्रपति को भेजा जाता है। आईआर, ओएसएच और सामाजिक सुरक्षा पर तीन कोड पहले ही राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त कर चुके हैं। नियमों की अधिसूचना के बाद एक कानून लागू होता है।

अधिसूचना और फीडबैक के बाद इन नियमों को अंतिम रूप दिया जाता है और कानून को लागू अमल में आता है। दिसंबर के अंत तक आईआर, ओएसएच और सामाजिक सुरक्षा पर तीन कोड पर फीडबैक मिलने की उम्मीद है।

श्रम सचिव ने कहा, भारत के संविधान के तहत श्रम एक समवर्ती विषय है। राज्य अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले नियमों को संशोधित भी कर सकते हैं। राज्यों से इस काम को प्राथमिकता पर लेने का आग्रह किया है ताकि चारों संहिताएं सभी जगह एक साथ लागू हो जाएं।

उन्होंने कहा, सरकार का लक्ष्य विश्व बैंक के शीर्ष 10 देशों में व्यापक श्रम सुधारों के साथ व्यापार रैंकिंग में संहिताओं की अहम भूमिका होगी। ईजी डूइंग बिजनेस- 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार रैंकिंग में भारत 14 स्थान की छलांग लगाकर 63 वें स्थान पर पहुंच गया। पांच साल (2014-19) में ये सुधार किया, इस तरह देश में निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

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